
भ्रष्टाचार और उत्पीड़न के खिलाफ कृष्णा सिल्क की मालकिन ने दर्ज कराई 10 करोड़ की याचिका, ऊर्जा विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी कटघरे में
भागलपुर, 22 जुलाई – भागलपुर के खलीफाबाग चौक स्थित कृष्णा सिल्क की मालकिन मंजू देवी झुनझुनवाला ने बिहार सरकार के ऊर्जा विभाग के खिलाफ एक बड़ा कानूनी कदम उठाया है। उन्होंने भागलपुर सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने और उन्हें बदनाम करने का आरोप लगाया है। इस याचिका में 10 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की गई है।
सोमवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में वरिष्ठ अधिवक्ता अभय कांत झा ने जानकारी दी कि याचिका में ऊर्जा विभाग के मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (SBPDCL) के प्रबंध निदेशक, मोजाहिदपुर विद्युत सब-स्टेशन के कार्यपालक अभियंता और सहायक अभियंता को प्रतिवादी बनाया गया है।
संजीव हंस को बचाने का आरोप
अधिवक्ता झा के अनुसार, यह मामला न सिर्फ वादी की प्रतिष्ठा से जुड़ा है बल्कि पूरे शासन तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग को लेकर है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि पूर्व ऊर्जा सचिव संजीव हंस को बचाने के लिए मंजू देवी को जानबूझकर परेशान किया गया। मंजू देवी ने पूर्व में कई बार भ्रष्टाचार की शिकायतें विभागीय स्तर पर दर्ज कराई थीं, लेकिन किसी पर कार्रवाई नहीं हुई।
धरना और उपेक्षा की कहानी
करीब ढाई साल पहले 27 जनवरी 2023 को मंजू देवी और उनके पुत्र प्रतीक झुनझुनवाला ने एसडीओ कार्यालय के समक्ष धरना भी दिया था। उन्होंने विजिलेंस, केंद्र सरकार के विभागों और राज्य के मुख्य सचिव को भी शिकायतें भेजी थीं, लेकिन सभी स्तरों पर मामले को नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
“न्याय का मखौल बन रहा है” – वकील
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, “यह पूरा मामला न्याय का मखौल, प्रशासनिक तंत्र के दुरुपयोग और ईमानदार नागरिक की आवाज को दबाने का उदाहरण है। अगर समय रहते कार्रवाई होती तो संबंधित अधिकारी आज जेल में होते।”
अब न्यायपालिका से उम्मीद
जब लगातार प्रयासों के बावजूद न तो शिकायतों पर कार्रवाई हुई और न ही समाधान मिला, तो मंजू देवी ने अब न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। यह याचिका भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सशक्त आवाज मानी जा रही है, जो आने वाले समय में शासन तंत्र को जवाबदेह बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकती है।