चुनाव आयोग की सख्ती: 2019 से निष्क्रिय 16 राजनीतिक दलों को नोटिस, 15 जुलाई तक मांगा जवाब

चुनाव आयोग ने निष्क्रिय राजनीतिक दलों पर कसी नकेल, 16 पार्टियों को भेजा नोटिस
पटना। चुनाव आयोग ने उन राजनीतिक दलों पर सख्ती दिखाई है जो वर्ष 2019 के बाद से किसी भी चुनाव—चाहे लोकसभा, विधानसभा या उपचुनाव—में हिस्सा नहीं ले रहे हैं और राजनीतिक गतिविधियों से दूर हैं। ऐसे 16 पंजीकृत लेकिन गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को आयोग ने नोटिस जारी करते हुए 15 जुलाई तक जवाब देने को कहा है।
उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मनोज कुमार सिंह के अनुसार, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 के तहत पंजीकृत राजनीतिक दलों को कई सुविधाएं और लाभ मिलते हैं, लेकिन यदि वे लंबे समय तक निष्क्रिय रहते हैं, तो यह अनुचित है। आयोग ने ऐसे दलों से पूछा है कि उन्हें पंजीकृत दलों की सूची से क्यों न हटाया जाए।
नोटिस में यह स्पष्ट किया गया है कि संबंधित दल ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से अपना तथ्यात्मक पक्ष रख सकते हैं। यदि वे निर्धारित समय सीमा के भीतर जवाब नहीं देते हैं या उनका स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं होता है, तो उनके पंजीकरण रद्द किए जाने की कार्रवाई की जा सकती है।
जिन दलों को नोटिस भेजा गया है, उनमें भारतीय पिछड़ा पार्टी, भारतीय सूरज दल, भारतीय युवा पार्टी (डेमोक्रेटिक), भारतीय जनता संगठन दल, बिहार जनता पार्टी, देसी किसान पार्टी, गांधी प्रकाश पार्टी, सहानुभूति जनरक्षक समाजवादी विकास पार्टी (जनसेवक), क्रांतिकारी पार्टी, क्रांतिकारी विकास दल, लोक आवाज दल, लोकतांत्रिक समानता पार्टी, राष्ट्रीय जनता पार्टी (भारत), राष्ट्रवादी जन कांग्रेस, राष्ट्रीय सर्वोदय पार्टी, सर्वजन कल्याण डेमोक्रेटिक पार्टी और बिजनेस फार्मर्स माइनॉरिटी फ्रंट शामिल हैं।
चुनाव आयोग की इस कार्रवाई को राजनीतिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।