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Jharkhand News कोयलांचल धनबाद में गणगौर पर्व की शुरुआत हो गई है ।यह पर्व मारवाड़ी समाज के लिए अहम है

रिपोर्टर मिथिलेश पांडेय धनबाद झारखंड

कोयलांचल धनबाद में गणगौर पर्व की शुरुआत हो गई है ।यह पर्व मारवाड़ी समाज के लिए अहम है इसकी शुरुआत फाल्गुन पूर्णिमा से ही हो जाती है जो 17 दिनों तक चलती रहती है यह पर्वनवविवाहितताएँ अपने पीहर में मनाती है। होलिका दहन की राख से गौरी (गणगौर)की मूर्ति बनाई जाती है। प्रत्येक दिन दुर्वा से माता की आराधना एवं महिलाएं लोकगीत गाकर आनंद उठाती है ।यह लोकगीत इस पर्व की आत्मा है ।चैत महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को पति की दीर्घायु की कामना कर गणगौर की पूजा करती है मारवाड़ी समाज में मान्यता है कि होलिका दहन के दिन माता अपने पीहर आती है ,और 16 दिन बाद भोलेनाथ गौरी को लेने ससुराल आते हैं ,और गौरी को विदाई करवा कर ले जाते हैं ।राजस्थान में गणगौर पूजन आवश्यक वैवाहिक रीत के रूप में प्रचलित है। कुमारी कन्या भी अच्छे पति की कामना के लिए गणगौरी की पूजा कर बड़ी धूमधाम से मनाती है। धनबाद में गणगौर की लोकगीत से राजस्थान संस्कृति की झलक परलक्षित होती है ।पूजा के अष्टमी के दिन कन्याकुमारी 16 कुओं से पानी लाकर मां गणगौर को लाती है और 17 में दिन यानी 23 मार्च को गंगौरी की अंतिम विदाई कर तालाब में विसर्जन कर देती है ।

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