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Chattisgarh News प्राथमिक शाला पकरिया के स्कूलों में मध्यान भोजन के अंतर्गत एक ही प्रकार की सब्जी दी जाती है।

रिपोर्टर राकेश कुमार साहू जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़

जिसके अंतर्गत आलू की सब्जी दी जाती है मात्र बच्चों से पूछा गया कि क्यों आपको रोज आलू की सब्जी दी जाती है तो बच्चों ने यह कहा कि जब से स्कूल चालू होता है तब से आलू की सब्जी दी जाती है इसके सिवा अन्य सब्जी नहीं दी जाती जबकि शासन के आदेश अनुसार मेनू चार्ट के अनुसार आलू चना आलू मटर आलू बड़ी आलू बैगन आदि मेनू के अनुसार में सब्जी देने का प्रावधान है मगर प्राथमिक शाला पकरिया में केवल आलू की सब्जी दी जाती है अचार पापड़ सलाद नाम मात्र के लिए दिया जाता है दाल वह भी पतला रहता है बच्चों को स्वाद अनुसार भोजन नहीं दिया जाता है। वहीं पर एक दूसरी प्राथमिक शाला है जहां स्कूल के बच्चों से साफ सफाई करवाई जाती है सफाई कर्मी मात्रा सवेरे 9:00 बजे जाकर अपना साफ सफाई करके चले जाता है फिर दोपहर में जब मध्यान भोजन होती है तो मध्यान भोजन की जो भी कचड़े हैं उसे बच्चे ही साफ करते हैं। मध्यान भोजन बनाने वाली से हमने पूछा कि क्यों आप लोग रोज आलू की सब्जी दी देते हो तो उन्होंने सांप पल्ला झाड़ दिया कि नहीं सर हम बदल बदल कर सब्जी देते हैं मगर इस चीज को जब बच्चों से पूछा गया तो कहा कि हमें केवल आलू की ही सब्जी दी जाती है अन्य सब्जी नहीं दी जाती।
स्कूलों में उचित साफ-सफाई की भी व्यवस्था नहीं होती है सफाई कर्मी आकर सवेरे झाड़ू लगाकर चला जाता है फिर उसके बाद में दोबारा नहीं आता हमने पूछा क्यों नहीं आता तो उनको बोलते हैं कि उनका वेतन कम मिलती है इसलिए वेतन के हिसाब से काम करते हैं। हमारे दबंग केसरी संवाददाता एवं इंडियन क्राइम न्यूज़ ब्यूरो चीफ का कहना यह है कि स्कूलों का जब निरीक्षण करने पहुंचे तो उसे वक्त मध्यान भोजन चल रही थी मध्यान भोजन के अंतर्गत बच्चों से पूछा की किस प्रकार की सब्जी दी जाती है तो उन्होंने सिर्फ एक ही स्वर से कहा कि हमें सिर्फ आलू की सब्जी दी जाती है अन्य सब्जी नहीं दी जाती स्वाद के अनुसार में सब्जी नहीं रहती डाल पतला रहता है। बच्चों से सफाई के संबंध में पूछा गया कि क्या सफाई कर्मी आकर सफाई करता है तो बच्चों ने कहा कि कभी कभार आ जाता है और झाड़ू लगाकर चला जाता है कभी तो आता ही नहीं हम बच्चे ही झाड़ू लगाते हैं शिक्षक हमें बोलते हैं कि झाड़ू लगाओ बोलते हैं तो हम झाड़ू लगाकर अपने स्थान पर बैठते हैं मगर सफाई कर्मी झाड़ू नहीं लगता।
यह कैसी विडंबना है कि शासन के अनुसार में प्रत्येक स्कूलों में सफाई कर्मी की व्यवस्था की जाती है मगर सफाई कर्मी ही एक वक्त में आकर अपना झाड़ू लगाकर चले जाते हैं मगर तनखा वही लेते हैं वैसे देखा जाए तो सरकारी स्कूलों के साफ सफाई की व्यवस्था ही नहीं रहती जिसके चलते बच्चों के माता-पिता प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने के लिए मजबूर हो जाते हैं। एवं छत्तीसगढ़ राज्य के स्कूलों में पर्याप्त मात्रा में शिक्षकों की व्यवस्था नहीं होती है जिसके चलते पढ़ाई व्यवस्था लड़खड़ा जाती है एक हिसाब से देखा जाए तो जांजगीर चांपा जिला को शैक्षणिक जिला कहा जाता है मगर शैक्षणिक जिला नहीं होकर व्यावसायिक जिला बनकर रह गया है केवल बच्चों को ट्यूशन ही पढ़ाया जाता है स्कूलों में पढ़ाई नहीं कराई जाती बच्चों को स्कूलों से शिक्षक अपने घर बुलाते हैं या ट्यूशन के आधार पर चलता है।
प्रत्येक स्कूलों को निरीक्षण करने हेतु कार्यालय कलेक्टर द्वारा तहसीलदार अनुभागी अधिकारी राजस्व पंचायत के सचिव सरपंच को अग्रेषित किया है कि प्रत्येक स्कूलों का निरीक्षण कर प्रतिवेदन शासन को भेजे मगर वे लोग जांच करने भी नहीं जाते हैं। जो बच्चे आज पढ़ रहे हैं वह कल देश के भविष्य हैं मगर उन भविष्य वाले बच्चों से ही काम करवाया जाता है यह न्याय उचित कदम नहीं है शासन की।

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