छत्तीसगढ़ब्रेकिंग न्यूज़राजनीति

Chhattisgarh News अविभाजित मध्यप्रदेश से लेकर छत्तीसगढ़ गठन तक जांजगीर-चांपा जिले के पामगढ़ विधानसभा में वर्ष 1967 से लेकर अब तक हुए 12 विधानसभा चुनाव में एक बार ही भाजपा को जीत मिली है।

जबकि 6 बार कांग्रेस तो पांच बार बसपा ने बाजी मारी है। वर्तमान में लंबे समय से पामगढ़ विस को बसपा का गढ़ माना जाता है।

रिपोर्टर राकेश कुमार साहू जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़

2008 और 2018 के चुनाव में यहां बसपा को जीत मिली। वहीं 2013 में पहली बार पामगढ़ विधानसभा में कमल खिला। यहां से बीजेपी के अंबेश जांगड़े ने जीत हासिल की। 2018 के चुनाव में भी बीजेपी ने उन्हें मैदान में उतारा पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। बसपा की इंदू बंजारे ने जीत दर्ज की और बसपा से पहली महिला विधायक बनी। इस बार भी बसपा ने उन पर दोबारा भरोसा जताया है और उन्हें पामगढ़ सीट से चुनाव मैदान में उतारा है।
00-2008 में रिजर्व होने के बाद से कांग्रेस को नहीं मिली जीत..
बताते चले कि 1950 में संविधान लागू होने के बाद यह सीट कांग्रेस का गढ़ रहा। 1952 से लेकर 1990 तक 38 सालों तक यहां कांग्रेस के ही विधायक बनते आए। फिर 1990 में बहुजन समाज पार्टी ने पहली बार जीत दर्ज की और 1997 तक लगातार तीन बार जीती। सन 1967 से लेकर 1972 तक यह सीट एससी वर्ग के लिए रिजर्व रही। 1977 से 2003 तक सामान्य वर्ग के लिए रिजर्व रही। इसके बाद फिर से 2008 के आम चुनाव में एससी वर्ग के लिए सुरक्षित की गई। 2008 में रिजर्व होने के बाद पिछले तीन चुनाव के आंकड़े देखे तो दो बार बसपा व एक बार बीजेपी को जीत मिली है। कांग्रेस का खाता नहीं खुल पाया।
0 तीन बार लगातार विधायक रहे शिवप्रसाद शर्मा
पामगढ़ सीट से शिवप्रसाद शर्मा लगातार तीन बार कांग्रेसी विधायक रहे। पहला चुनाव 1977 में लड़ा और जनसंघ पार्टी के बेदीप्रसाद शुक्ला को हराते हुए जीत हासिल की। इसके बाद 1980 में उपचुनाव हुआ जिसमें भी जनसंघ के बेदीप्रसाद शुक्ला को हराकर जीत दर्ज की। फिर 1985 में फिर बामसेफ पार्टी के दाऊराम रत्नाकर को पराजित कर शिवप्रसाद शर्मा लगातार तीसरी बार विधायक बने।
0 फिर कांग्रेस के गढ़ में बसपा ने मारी थी बाजी
इसके बाद 1990 के चुनाव में बड़ा उलटफेर हुआ। बामसेफ के बाद तब नई-नई बनी बहुजन समाज पार्टी ने सामाजिक समीकरण को साधकर सामान्य सीट से अनुसूचित जाति के उम्मीदवार दाऊराम रत्नाकर को टिकट दी। एससी बाहुल्य सीट में बसपा ने ऐसा समीकरण रचा कि एक नहीं बल्कि तीन बार लगातार जीते। पहले चुनाव में जनता दल के आनंद मिश्रा को हराया। इसके बाद 1993 में उपचुनाव में भी बाजी मारी और भाजपा के बिशुन कश्यप को पराजित किया। फिर 1998 में लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की और इस बार भाजपा की शकुंतला सिंह को हराया। अब तक हुए पिछले चुनाव के परिणाम
वर्ष जीत विधायक 1967 कांग्रेस कुलपत सिंह भारद्वाज
1972 कांग्रेस महावीर कुर्रे 1977 कांग्रेस शिवप्रसाद शर्मा
1980 उपचुनाव कांग्रेस शिवप्रसाद शर्मा 1985 कांग्रेस शिवप्रसाद शर्मा
1990 बसपा दाऊराम रत्नाकर 1993 उपचुनाव बसपा दाऊराम रत्नाकर
1998 बसपा दाऊराम रत्नाकर 2003 कांग्रेस राजेश्री महंत रामसुंदर दास
2008 बसपा दूजराम बौद्ध 2013 भाजपा अंबेश जांगड़े
2018 बसपा इंदू बंजारे

Indian Crime News

Related Articles

Back to top button