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Uttar Pradesh News नवरात्रि में नगर में स्थापित देवी मंदिरों के साथ दुर्गा पंडालों में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़

रिपोर्टर मनोज कुमार महोबा उत्तर प्रदेश

चरखारी नगर का इतिहास अपने स्थापना काल से ही धार्मिक भावनाओं एवं धार्मिक आयोजनों को पूर्ण श्रद्धा, वैभव और उत्साह के साथ संपन्न कराने वाला रहा है, यहां हर धर्म के धार्मिक आयोजनों में सभी समुदाय के लोग धार्मिक आयोजनों को पूरे सम्मान और उत्साह के साथ संपन्न कराने में एक दूसरे के सहयोगी रहे हैं, नगर की तहजीब गंगा जमुनी रही है, चरखारी स्टेट के सभी शासक बेहद धार्मिक रहे हैं, नगर की प्राकृतिक सुंदरता की वजह से जहां इसे बुंदेलखंड का कश्मीर कहा जाता है तो वहीं नगर को मिनी मथुरा वृंदावन भी कहा जाता है स्टेट चरखारी के कृष्ण भक्त शासक राजा मलखान सिंह जूदेव द्वारा नगर में मथुरा वृंदावन की तर्ज पर 108 राधा कृष्ण के मंदिरों की स्थापना करने के साथ-साथ नगर में स्थापित अन्य देवी देवताओं के मंदिरों के रखरखाव व प्रबंधन के लिए भी राजकोष के धार्मिक मद से धन राशि आवंटित करते हुए यहां के मंदिरों को पूर्ण वैभवशाली बनाया था, नगर में पांच धार्मिक मेलों का भी आयोजन किया जाता रहा है जिसका आयोजन स्टेट चरखारी करती रही है वर्तमान में मेला गोवर्धन नाथ जी ही अस्तित्व में रह गया है जिसका आयोजन नगर पालिका कराती है, मेला सहस्त्र श्री गोवर्धन नाथ जी के परिसर में नगर के 108 राधा कृष्ण मंदिरों के विग्रह पूरे एक माह तक स्थापित रहते हैं, राधाकृष्ण मंदिरों के अलावा नगर में पुरातन काल से ही स्थापित देवी मंदिरों में माता मदारण देवी मंदिर, माता काली देवी मंदिर, मां महेश्वरी देवी मंदिर, एवं बजरिया की देवी जी का मंदिर बड़े ही सिद्ध धार्मिक स्थल हैं, इसके अलावा भी नगर में अन्य देवी स्थल भी है जो बेहद सिद्ध स्थान माने जाते हैं, शारदीय नवरात्रि में सभी देवी स्थलों में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ रहती है, इस समय नगर में शारदीय नवरात्रि की धूम मची हुई है नगर में स्थापित देवी स्थलों के साथ शारदीय नवरात्रि में 27 दुर्गा पंडाल स्थापित किए गए हैं जहां मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की झांकियों को बेहद भव्य तरीके से सजाया संवारा गया है, दुर्गा पंडालों में भक्ति संगीत के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है जिससे प्रतिदिन संध्या के समय श्रद्धालुओं की अपार भीड़ रहती है, तो वहीं सुबह के समय नगर में स्थापित देवी मंदिरों में माता, बहनों एवं श्रद्धालुओं भारी भीड़ जल चढ़ाने के लिए पहुंच रही है जिससे शारदीय नवरात्रि में संपूर्ण नगर का वातावरण मां दुर्गा की आराधना में लीन हो गया है, माता मदारण देवी मंदिर में जहां प्रतिदिन दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं तो वहीं अष्टमी को माता महेश्वरी देवी मंदिर एवं माता काली देवी के मंदिर में संध्या के समय माता बहनों एवं श्रद्धालुओं की भारी भीड़ माता के दर्शनों के लिए पहुंचती है, अष्टमी और नवमी तिथि को देवी मंदिरों में हवन पूजन का विशेष अनुष्ठान किया जाता है, नवमी को माता काली देवी एवं माता महेश्वरी देवी मंदिरों के विमान अन्य देवी मंदिरों के साथ जवारा विसर्जन के लिए निकलते हैं जिसमें नगर के श्रद्धालु लोग जगह-जगह माता की आरती करते हुए प्रसाद अर्पण करते हैं इसके उपरांत दशमी तिथि समस्त दुर्गा पंडालों की देवी प्रतिमाओं को बेहद भव्य तरीके से सजा सवांर कर बेहद भव्य तरीके से विसर्जन के लिए ले जाया जाता है संध्या के समय विसर्जन के लिए ले जा रही देवी प्रतिमाओं की झांकियों की छंटा अनुपम होती है, देवी प्रतिमाओं के विसर्जन की झांकियां के साथ ही श्री राम, लक्ष्मण एवं हनुमान जी महाराज जी की सवारियां भी साथ में चलती हैं जो रास्ते में मेघनाथ एवं रावण के पुतलों का दहन करते हुए चलती हैं, देवी प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ ही 10 दिन तक चलने वाले शारदीय नवरात्रि के आयोजन का समापन हो जाता है

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