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Haryana News अजामिल जैसे डाकू भी भगवान नारायण के नाम का स्मरण कर संतों की कृपा से परम पद को प्राप्त किया- आचार्य बजरंग शास्त्री

रिपोर्टर सतीश नारनौल हरियाण 

नारनौल के समीप गांव खटोंटी में आयोजित संगीतमय श्री मदभागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर आज सर्वप्रथम आचार्य मनीष शास्त्री ने मुख्य यजमान कमलकांत शर्मा और मनीष शर्मा के द्वारा विधिविधान से सभी देवताओं का पूजन करवाया और भागवत कथा का शुभारंभ करवाया। आचार्य बजरंग शास्त्री ने बताया की भगवान नारायण की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण आरम्भ किया और सर्वप्रथम दस प्रकार की सृष्टि का निर्माण किया उसके उपरांत ब्रह्मा जी ने अपने शरीर से सृष्टि के पहले पुरुष मनु और स्त्री शतरूपा को महारानी को प्रकट किया और इन्ही के द्वारा आगे पूरी सृष्टि कि रचना हुई हम सभी लोग मनु कि संतान है। इसलिये हम सभी मानव कहलाते है। इन्ही मनु जी के यहा पर तीन पुत्री आकुति , देवहूति, प्रसूति , और दो पुत्र प्रियव्रत और उत्तानपाद का जन्म हुआ ।
इसके उपरांत आचार्य बजरंग शास्त्री जी ने मनु महाराज के दूसरे पुत्र प्रियव्रत हुए और उन्हीं के आग्निध उनके वंश में नाभि और ऋषभदेव जी महाराज हुए जो जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर माने जाते हैं। ऋषभदेव जी के पुत्र भरत जी महाराज हुए, जिन्होंने राजा रहुगण को सुंदर उपदेश किया। 28 प्रकार के नर को वर्णन सुनाया आगे अजामिल की कथा का वर्णन करते हुए आचार्य जी ने बताया की बुरे संग में होने के बाद भी अजामिल जैसे डाकू भी भगवान के नाम नारायण का स्मरण करने से और संतों की कृपा से परम पद को प्राप्त कर गया। आचार्य ने बताया कि मनुष्य को जीवन में हमेशा भगवान के नाम का सुमिरन करते रहना चाहिए, क्योंकि इस जीवन का पता नहीं, कौन सा पल हमारे लिए आखिरी पल हो| 28 प्रकार के नरको का वर्णन करते हुए बताया की जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है, वह वैसा ही फल भोगता है। आज का शुभ, कर्म, कल, सदभाग्य बनेगा और आज का बुरा कर्म ही कल दुर्भाग्य बनकर आयेगा ।
आगे की कथा में आचार्य जी ने गज ग्राह की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि हमे कभी भी रूप, यौवन, सम्पति, शक्ति का अभिमान नही करना चाहिए। इसके बाद आचार्य जी ने प्रजापति दक्ष का प्रसंग उनकी साठ कन्याओं के वंश का वर्णन गुरुओं अवज्ञा का परिणाम 49 मरूदगणों की कथा सुनाई और वृत्तासुर की कथा का बड़ा ही सुंदर मार्मिक वर्णन किया।

उन्होंने बताया कि भगवान नारायण नरसिंह का रूप धारण करके प्रहलाद की रक्षा करने के लिए आये और हिरण्यकश्यप का कल्याण किया। गजा और ग्राह की कथा सुनाते हुए बताया की गज को अपनी ताकत पर अभिमान था, किन्तु उसकी ताकत और परिवार भी काम नहीं आया। अन्त में हारकर उसने नारायण को पुकारा और नारायण ने उसकी रक्षा की| आचार्य जी ने बताया कि जब-जब संसार में धर्म कि हानि होती और अधर्म को बढावा तो भगवान भिन्न-भिन्न अवतार लेकर के आते है और दुष्टों का सँहार करके अपने भक्तो की रक्षा करते है ।कंस का कल्याण करने और सभी भक्तो को सुख देने के लिये भगवान भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी की रात्रि में वसुदेव देवकी के यहाँ पर कंस के कारागार में ही अवतार लेकर आये, कथा में वामन अवतार और कृष्ण जन्म की सुंदर झांकी का भी दर्शन करवाया गया। कृष्ण जन्म के अवसर पर सभी भक्तो ने झूम करके नाच करके आनंद लिया। कार्यक्रम के बारे जानकारी देते हुये आयोजक पिंकी शर्मा ने बताया की प्रतिदिन दोपहर 1 से शाम 5 बजे तक भागवताचार्य पं.बजरंग शास्त्री जी महाराज अपने मुखारबिंद से भक्तो को भागवत कथा की गंगा मे आनंद दिलाते है। कथा के आयोजक ने सभी धर्म प्रेमी बंधुओ से इस धार्मिक आयोजन मे सपरिवार भागवत की ज्ञान गंगा में आकर कर भाग लेने की अपील की। इस अवसर पर मुख्य रूप से महेंद्र नूनीवाला अग्रवाल, विनोद सोनी , रमेश शर्मा , महेश शर्मा , सुरेश शर्मा, शुभम सोनी , सोमदेव , प्रेम बहन जी , मोहित शर्मा एवं सैकड़ों की संख्या मे माताएं , बहनों सहित काफी संख्या में शहर के अनेक गणमान्य लोग मुख्य रूप से मौजूद रहे ।

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