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Madhya Pradesh News शेख चिल्ली की तर्ज ! और कर्नाटक का चुनाव परिणाम ?

रिपोर्टर आरती पवार बुरहानपुर  मध्यप्रदेश 

चुनाव से पहले शेखचिल्ली की तरह कर्नाटक में व्याप्त समस्याओं का निराकरण चुनाव जीतने के बाद अपनी पहली ही केबिनेट मीटिंग में हल करने का वादा कर चुनाव जीतने वाली कांग्रेस की अग्नि परीक्षा आने वाले कुछ दिनों में जमीन पर दिख जायेगी जब कर्नाटका को नया मुख्यमंत्री मिलेंगा और जनता से किए वादों वचन पत्र के अनुरूप लागू करवाया जायेगा। कर्नाटक के चुनाव कांग्रेस के लिए बडी परीक्षा थी, पार्टी राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव दर चुनाव हार रही थी। वंशवाद के साथ परिवार वाद की पार्टी के आरोप से जूझ रही पार्टी को राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के रुप में मिलने के बाद वंशवाद और परिवार की पार्टी होने से मुक्ति मिल गई थी।आपकों बताना जरूरी है नाटकीय घटनाक्रम में खड़गे जी ने शशि थरूर को लगभग 7897 वोट से हराकर वंश वाद के दाग से गांधी परिवार के साथ कांग्रेस को मुक्ति दिलवाई थी। हम पुन: अपने उपरोक्त प्रश्न के साथ कर्नाटक चुनाव के मूल में आते है। क्या कारण रहे सत्ताधारी दल भाजपा के कर्नाटक की सत्ता से बाहर होने के ? जबकी यहां चुनाव अभियान में केंद्रीय नेतृत्व के साथ प्रदेश, देश भर के नेता प्रचार अभियान की कमान सम्हाले हुए थे। क्या नेताओ पर कमीशन के लगे आरोप का तोड़ पार्टी ढूंढ नही पाई थी ? या पूरे न करने वाले बैमतलब के चुनावी वादों के झंझट में न पड़कर मोदी के किए कामों के बूते वोट मांगकर चुनाव के साथ राज्य फतेह करने निकली पार्टी को सत्ता गवाकर नुकसान उठाना कबूल था ! वैसे हम शेखचिल्ली और कर्नाटक के चुनाव अभियान पर नजर गड़ाए तो सत्ता की सीढ़ी चढ़ी कांग्रेस पार्टी के मुस्लिम आरक्षण के वादे को दरकिनार कर मुख्यत: चार वादो पर गौर करने तो दिमागी पटल कोरोना संक्रमण से बीमार मरीज से ज्यादा हमारी तबियत बिगाड़ता नजर आता है। खेर बात जब शेख चिल्ली वाले पात्र की हो रही है तो हम कांग्रेस के उन महत्वपूर्ण चार वादों जिसमे प्रथम हर परिवार की महिला को गृह लक्ष्मी योजना के तहत प्रतिमाह 2000 रुपए देना। द्वितीय गृह ज्योति योजना के अंतर्गत हर परिवार को दो हजार यूनिट बिजली मुफ्त देना, जानकर बताते है आंकड़े के कन्फ्यूजन के कारण 200 की जगह 2000यूनिट की घोषणा हो गईं। तृतीय अन्न प्रदाय योजना के तहत परिवार के प्रत्येक सदस्य को प्रतिमाह 10 किलो चावल। चौथी यूवा निधि योजना के अंतर्गत प्रत्येक ग्रेजुएट को 3000रुपए प्रतिमाह और डिप्लोमा होल्डर को 1500रुपए प्रतिमाह की घोषणा के सहारे कांग्रेस ने किला फतेह करने की योजना बनाई थी उस पर कामयाब भी हुई। उक्त वादो को राजकुमार ने अपने मुखारविंद से माइक के साथ भाषणों में कहा है। अब देखना यह है कांग्रेस पार्टी अपनी पहली केबिनेट बैठक में उक्त मांगो को पूरा करने पर हस्ताक्षर करवाएगी या टालमटोल करेगी! हमारा अर्थशास्त्र कमजोर होने के मासिक खर्च का ब्योरा नही दे पा रहे किंतु वादों के प्रश्न के साथ खडे है । कांग्रेस चुनाव के पहले शेख चिल्ली की तरह अपने किए वादों और समस्याओं को चुटकी बजाने की तरह निपटाने का समाधान कैसे निकालती है। चुनावी रैलियों भाषणों में कांग्रेस राजकुमार ने गजब का सम्मोहन पैदा कर दिया था। अब वादों के निपटान 2000यूनिट बिजली मुफ्त, हर महिला को दो हज़ार, प्रत्येक व्यक्ति 10किलो चावल, ग्रेजुएट 3000 रुपए डिप्लोमा धारी 1500 रुपए देने की घोषणा से वास्तविक उपलब्धि नजर आएगी या गहरी खाई प्रश्न चिन्ह खड़े कर रही है। अगर काग्रेस कर्नाटक में इस योजना पर काम कर किए वादों को दो चार माह में पूरा करती है तब 2023 में मध्यप्रदेश सहित चार अन्य राज्यो में होने जा रहे चुनाव अन्य विपक्षी दलों के लिए लड़ना चुनौती साबित करेंगे! वैसे साफ़ शब्दों में कहें प्रलोभनों के सहारे संस्कृति सत्ता के पीछे चलने लगीं है और मतदाताओ का सब्र धैर्य रख गया तब कांग्रेस अपने इसी घोषणा पत्र को अन्य राज्यो पर भी आजमाएगी और कर्नाटक का प्रसार अन्य राज्यो में कर गरीब तबकों के वोट बैंको में सेंधमारी करेगी क्योंकि अल्पसंखयक वोट पुनः कांग्रेस की और आता दिखाईं दे रहा है। उसे मात्र अपने परंपरागत वोट के बाद दीगर 15 से 20 प्रतिशत हिंदू वोट पर सेंधमारी करना है, जो गरीब मतदाताओ से संभव भी है। चुनावी रणनीति के तहत कांग्रेस वादों को कितना पूरा कर पाती है सियासी पिच तैयार होने के बाद पता चलेगा। हमारे मन में संशय अब भी बना हुआ है। कही शेखचिल्ली के वादे और कर्नाटक का चुनाव न बनकर रह जाए, मतदाता ठगा जाए

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