डिजिटल अरेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख: साइबर ठगों को अब किसी भी अदालत से नहीं मिलेगी जमानत

👉 साइबर फ्रॉड पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: डिजिटल अरेस्ट मामले में आरोपियों की जमानत पर रोक
👉 ऐतिहासिक फैसला: डिजिटल ठगी के आरोपियों को निचली अदालतें नहीं देंगी जमानत
👉 बुजुर्ग वकील से 3.29 करोड़ की ठगी—सुप्रीम कोर्ट बोले, असमान्य अपराध पर असमान्य कदम
👉 डिजिटल अरेस्ट Scam पर SC की बड़ी कार्रवाई, आरोपियों की रिहाई सिर्फ सुप्रीम कोर्ट से ही
नई दिल्ली।
डिजिटल अरेस्ट जैसे उभरते साइबर अपराधों पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक और अभूतपूर्व कदम उठाते हुए सख्त संदेश दिया है। 72 वर्षीय महिला वकील को डिजिटल रूप से “अरेस्ट” कर 3.29 करोड़ रुपये ट्रांसफर कराने वाले साइबर अपराधियों को किसी भी अदालत द्वारा जमानत देने पर शीर्ष अदालत ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरोपित विजय खन्ना और अन्य सहअभियुक्तों को राहत चाहिए तो वे सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख करें।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बाग्ची की पीठ ने कहा कि यह एक असमान्य घटना है, इसलिए असमान्य हस्तक्षेप अनिवार्य है। पीठ ने टिप्पणी की कि ऐसे साइबर अपराधों पर कठोरता के साथ कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि समाज में सही संदेश जाए और ऐसे ठगों के हौसले पस्त हों।
सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) की हस्तक्षेप याचिका में बताया गया कि बुजुर्ग महिला वकील की उम्र भर की जमा-पूंजी ठगों ने छल से हड़प ली। चिंता जताई गई कि चार्जशीट समय पर दाखिल न होने के चलते आरोपी विधायी जमानत के आधार पर छूट सकते हैं। इस पर कोर्ट ने तुरंत आदेश पारित कर जमानत पर रोक लगा दी।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी चिंता जताई कि डिजिटल अरेस्ट गैंग बुजुर्गों को निशाना बना रहा है। पीड़ित महिला ने दबाव में आकर अपनी एफडी तक तोड़कर आरोपियों को पैसे दे दिए। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार की ठगी की व्यापकता समझने के लिए पूरे देश में जल्द दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
पीठ ने न्यायमित्र एनएस नप्पिनाई से कहा कि जल्द ही एक सार्वजनिक अपील जारी की जाएगी, जिसमें डिजिटल अरेस्ट के पीड़ितों से संपर्क करने को कहा जाएगा, जिससे समस्या की वास्तविक स्थिति सामने आ सके।
भारत द्वारा साइबर क्राइम पर संयुक्त राष्ट्र की संधि को स्वीकार न करने का मुद्दा भी उठा, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से विचार करने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।
डिजिटल अरेस्ट अपराध में ठग खुद को कोर्ट या जांच एजेंसी बताकर पीड़ित को मानसिक रूप से “डिजिटल कैद” में ले लेते हैं और पैसे ट्रांसफर कराने के लिए मजबूर करते हैं। हरियाणा के एक दंपति की शिकायत पर कोर्ट ने इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेते हुए व्यापक स्तर पर सुनवाई शुरू की है।

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