
रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन भोपाल मध्य प्रदेश
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश के सभी यूनिवर्सिटी कैंपस एवं अन्य उच्च शिक्षण संस्थान विश्वस्तरीय बनाए जाएं। यह सभी संस्थान आईआईटी, आईआईएम और अन्य राष्ट्रीय संस्थानों की तर्ज पर विकसित किए जाएं। सिर्फ सैद्धांतिक ज्ञान नहीं, सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में रोजगारपरक एवं बहुउद्देश्यीय विषय एवं कोर्सेस प्रारंभ किए जाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव सोमवार को मंत्रालय में उच्च शिक्षा विभाग और प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में रोजगारपरक नवीन विषय प्रारंभ करने के संबंध में आयोजित बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में उच्च शिक्षा, आयुष, तकनीकी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, पशुपालन एवं डेयरी विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) लखन पटेल,सहित प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलगुरू, उच्च शिक्षाविद् एवं विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने नर्सिंग एवं पैरामेडिकल महाविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया की जानकारी ली। अपर मख्य सचिव ने बताया कि सत्र 2025-26 में नर्सिंग कॉउंसिल द्वारा प्रवेश प्रकिया आरम्भ कर दी गई है। पैरामेडिकल कॉउंसिल द्वारा सत्र 2025-26 की मान्यता संबंधी प्रक्रिया एक माह में प्रारम्भ करने की बात कही गई है। नर्सिंग एवं पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों को एनओसी उच्च शिक्षा विभाग के संचालनालय स्तर पर एवं मान्यता क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि झाबुआ में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए ग्राम कल्याणपुरा में 70 एकड़ भूमि उच्च शिक्षा विभाग के माध्यम से लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को आवंटित की जा चुकी है। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर द्वारा जिला अस्पताल झाबुआ में प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज के टीचिंग हास्पिटल के रूप में अनुमति देने के लिए आवेदन कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलगुरूओं को निर्देशित किया कि वे सभी अपने विश्वविद्यालयों का अगले पांच साल का रोड-मैप तैयार करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी कुलगुरू अपने विश्वविद्यालयों में कृषि, उद्यानिकी, फ्लोरीकल्चर, टूरिज्म, माइनिंग, विमानन, दुग्ध उत्पादन के प्रोत्साहन के लिए पशुपालन (एनिमल हस्बेंड्री) जैसे रोजगारपरक विषय एवं डिग्री पाठ्यक्रम प्रारंभ करें। उन्होंने कहा विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों को ज्ञान देने के अलावा उनकी उद्यमशीलता को भी प्रोत्साहित करें। कृषि विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों को प्राकृतिक एवं जैविक खेती की ओर प्रवृत करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी विश्वविद्यालय यह बताएं कि उन्होंने कितने रोजगारपरक विषय खोले हैं, उनमें कितने विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया और विश्वविद्यालयों ने अपने स्तर पर कितने विद्यार्थियों को रोजगार प्लेसमेंट उपलब्ध कराए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी विश्वविद्यालय अपने-अपने क्षेत्र में स्थापित औद्योगिक प्रक्षेत्रों की जरूरतों को समझें और उनकी जरूरत के अनुसार अपने यहां नए-नए एडवांस कोर्सेस प्रारंभ करें। इससे विद्यार्थियों को स्थानीय स्तर पर ही अध्ययन के साथ-साथ रोजगार भी मिल सकेगा।