Chhattisgarh New : मनेंद्रगढ़ गोलीकांड 23 साल बाद आया फैसला आठ आरोपियों को 3-3 साल की सजा

ब्यूरो चीफ राकेश कुमार साहू जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़
गांधी चौक में 2002 में हुई चर्चित गोलीकांड की गूँज अब थमी है। करीब 23 साल बाद बिलासपुर हाईकोर्ट ने इस मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए आठ आरोपियों को तीन-तीन साल सश्रम कारावास और 10-10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। मामला 4 अप्रैल 2002 की रात का है। व्यावसायी शिव गुप्ता पर आरोपियों ने गैंग बनाकर बंदूक,तलवार और लाठियों से हमला किया था। दरअसल, दुकान किराए को लेकर शिव गुप्ता के भतीजे राजाराम और मुख्य आरोपी हरजीत सिंह छाबड़ा के बीच 2 लाख 55 हजार रुपए में सौदा हुआ था। राजाराम ने 55 हजार एडवांस भी दे दिया था,लेकिन बाद में सौदा रद्द हो गया। जब एडवांस राशि वापस मांगी गई तो विवाद खड़ा हो गया। रात करीब 11 बजे हरजीत सिंह छाबड़ा और गुरबख्श छाबड़ा अपने साथियों के साथ हजारी चौक पहुँचे और शिव गुप्ता से भिड़ गए। देखते ही देखते विवाद खूनी संघर्ष में बदल गया और शिव गुप्ता पर बंदूक, तलवार व लाठियों से जानलेवा हमला कर दिया गया। गंभीर रूप से घायल शिव गुप्ता किसी तरह बचकर अपने मित्र के घर पहुँचे और वहीं बेहोश होकर गिर पड़े। उन्हें बाद में आमाखेरवा केंद्रीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया, जहाँ से दिल्ली रेफर किया गया। इलाज में तीन सप्ताह लगे। इस वारदात से पूरा बाजार दहशत में था। मौके पर भीड़ जमा हो गई थी। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आठ आरोपियों हरजीत सिंह छाबड़ा, गुरबख्श सिंह छाबड़ा,अजय अरोड़ा,जसवीर सिंह रैना,सुरेंद्र लवली सिंदवानी,गुरजीत सिंह, नरेंद्र सिंह और हारून मेमन के खिलाफ धारा 147, 148, 149 और 307 के तहत अपराध दर्ज किया था। स्थानीय अदालत ने वर्ष 2004 में ही सभी आरोपियों को सात-सात साल कैद की सजा सुनाई थी, लेकिन आरोपी हाईकोर्ट पहुँचे। करीब दो दशक तक चली सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने 19 अगस्त को फैसला सुनाया। कोर्ट ने सभी आरोपियों की सजा घटाकर तीन-तीन साल कर दी और साथ ही घायल व्यापारी शिव गुप्ता को नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 395 के तहत 80 हजार रुपए क्षतिपूर्ति देने का आदेश भी दिया। इस फैसले ने एक बार फिर 2002 के उस भयावह गोलीकांड की याद ताज़ा कर दी, जिसने पूरे मनेंद्रगढ़ को दहला दिया था।