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“सावन सूखा पड़ा: जुलाई में 10 वर्षों की सबसे कम बारिश”

"जिले में सामान्य से 180 मिमी कम बारिश, भूजल स्तर गिरा, गांवों में जल संकट गहराया"

मुजफ्फरपुर। सावन का महीना अपने अंतिम पड़ाव पर है, लेकिन इस बार न तो झमाझम बारिश हुई और न ही धरती तर हो पाई। जुलाई 2025 में जिले में केवल 120.3 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य बारिश 304.8 मिमी से 180 मिमी कम है। यह पिछले 10 वर्षों में सबसे कम बारिश का रिकॉर्ड है। लगातार तीसरे वर्ष जुलाई में कम बारिश दर्ज की गई है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है और कई ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट गहराने लगा है।

जहां पहले बाढ़, वहां अब टैंकर

कटरा, औराई जैसे प्रखंड जहां जुलाई में आमतौर पर बाढ़ की स्थिति बनी रहती थी, वहां इस बार हालात इतने खराब हैं कि पेयजल के लिए टैंकर भेजे जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भूजल स्तर 25-30 प्रतिशत तक गिर चुका है और कई जगहों पर हैंडपंप सूख गए हैं।

बारिश से मिली थोड़ी राहत, लेकिन नाकाफी

हालांकि 27 जुलाई से जिले के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई है, जिससे थोड़ी राहत मिली है। मोतीपुर में 23.2 मिमी और कांटी में 22.4 मिमी बारिश दर्ज की गई। लेकिन कई इलाकों में बारिश का स्तर बेहद कम रहा — गायघाट में 0 मिमी, सरैया में 1.2 मिमी, सकरा में 2.2 मिमी, और कटरा व मड़वन में 2.8 मिमी

पिछले दस वर्षों में जुलाई की बारिश का आंकड़ा (मिमी में):

वर्ष वर्षा (मिमी)
2015 130.6
2016 227.3
2017 388.2
2018 146.8
2019 541.4
2020 583.2
2021 219.5
2022 180.2
2023 128.0
2024 182.6
2025 120.3

2019 और 2020 में सबसे अधिक बारिश दर्ज की गई थी, लेकिन उसके बाद से बारिश में निरंतर गिरावट देखने को मिल रही है।

मानसून रेखा की निष्क्रियता बनी वजह

जिला सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वर्ष उत्तर बिहार में मानसून रेखा की सक्रियता बेहद कमजोर रही, जिसके कारण जिले में सामान्य बारिश नहीं हो सकी। अब सावन के समाप्त होने में मात्र दो दिन शेष हैं, ऐसे में बारिश के रिकॉर्ड में सुधार की संभावना भी कम ही दिख रही है।

किसानों और ग्रामीणों की बढ़ी परेशानी

कम बारिश से धान की रोपनी प्रभावित हुई है। कई किसानों ने खेतों को सूखा देख बीज डालना ही छोड़ दिया। जिन किसानों ने रोपाई की है, वे अब फसल के बचाव के लिए इंद्रदेव की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। वहीं ग्रामीण इलाकों में लोग पीने के पानी के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।

जल, जीवन और कृषि — तीनों पर मंडरा रहे इस संकट से निपटने के लिए प्रशासन को जल्द ठोस कदम उठाने होंगे, वरना आने वाले महीनों में स्थिति और भी भयावह हो सकती है।

@ State Incharge Animesh Anand

Indian Crime News

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