कैमूर में बनने जा रहा टाइगर रिजर्व, बाघ संरक्षण की दिशा में बिहार की बड़ी पहल

पटना, 29 जुलाई:
बिहार के कैमूर जिले को जल्द ही टाइगर रिजर्व की ऐतिहासिक सौगात मिलने वाली है। इस संबंध में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है। यह जानकारी राज्य के पर्यावरण एवं वन मंत्री डॉ. सुनील कुमार ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान (पटना चिड़ियाघर) में आयोजित कार्यक्रम के दौरान दी।
मंत्री ने बताया कि पिछले 12 वर्षों में बिहार में बाघों की संख्या आठ गुना तक बढ़ी है, जो यह सिद्ध करता है कि यह राज्य बाघों के संरक्षण और प्रजनन के लिए एक उपयुक्त पर्यावरण उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने कहा कि चिड़ियाघर के 50 सालों के इतिहास में अब तक कुल 32 बाघों का जन्म हुआ है, जो वन विभाग की उपलब्धियों में से एक है।
कार्यक्रम में विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बम्हरा ने कहा कि बाघों के आवासीय जंगलों पर अतिक्रमण नहीं होना चाहिए और हमें उन्हें ‘जंगल का राजा’ की तरह जीने देना चाहिए। उन्होंने आम जनता से भी अपील की कि वन्यजीव संरक्षण को एक सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में लें।
चिड़ियाघर के निदेशक हेमंत पाटिल ने अपने संबोधन में कहा कि हाल के वर्षों में विभाग ने बाघ संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि वन्यजीवों और जंगलों का संरक्षण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है, और इसके लिए जन-सहभागिता जरूरी है।
बाघ दिवस पर स्कूली बच्चों ने दिखाई कला प्रतिभा
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में कई स्कूलों के छात्रों ने भाग लिया। प्रतियोगिता को विभिन्न ग्रुप में विभाजित किया गया था:
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ग्रुप ए: डीपीएस स्कूल ने प्रथम, लोयोला हाई स्कूल ने द्वितीय और संत माइकल हाई स्कूल ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
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ग्रुप बी: डीपीएस ने प्रथम, लोयोला ने द्वितीय और रेडिएंट इंटरनेशनल ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
ग्रुप सी और डी के विजेता प्रतिभागियों को भी मंच पर सम्मानित किया गया। साथ ही सर्प दिवस पर आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी पुरस्कार प्रदान किए गए।
इस कार्यक्रम में निदेशक पारिस्थितिकी अभय कुमार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक प्रभात कुमार गुप्ता, प्रधान मुख्य वन संरक्षक विकास अरविंदर सिंह, सुरेंद्र सिंह समेत अनेक अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।
बिहार सरकार की यह पहल न केवल राज्य में जैव विविधता को संजोने की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि यह देश के वन्यजीव संरक्षण अभियान को भी नई दिशा दे सकती है।