
डायल-112 सेवा ने पूरे किए तीन साल, 40 लाख लोगों को दी त्वरित मदद
बिहार कॉल रिस्पांस में देश में दूसरे स्थान पर, महिला सुरक्षा में भी बना उदाहरण
पटना।
बिहार में एकीकृत आपातकालीन सेवा डायल-112 ने अपनी स्थापना के तीन वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस दौरान सेवा ने राज्य भर में 40 लाख से अधिक लोगों को त्वरित सहायता पहुंचाकर आपात स्थिति में भरोसे का प्रतीक बन चुकी है। इस अवसर पर डीजीपी विनय कुमार ने सेवा से जुड़े पुलिसकर्मियों को सम्मानित किया और बताया कि बिहार औसतन 15 मिनट में पीड़ित तक मदद पहुंचाने वाला राज्य बन गया है।
डायल-112 को प्रतिदिन करीब 65 हजार कॉल्स प्राप्त होते हैं और आज यह सेवा देशभर में कॉल रिस्पांस के मामले में दूसरे स्थान पर है। इस सेवा ने पुलिस, एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, हाईवे पेट्रोलिंग और आपदा प्रबंधन को एक प्लेटफॉर्म पर लाकर समन्वित सहायता सुनिश्चित की है।
अब तक की प्रमुख उपलब्धियां:
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40 लाख+ नागरिकों को सहायता
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1833 आपातकालीन वाहन तैनात (1283 चार पहिया, 550 दो पहिया)
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औसतन प्रतिदिन 6,000 मामलों में मदद
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औसत रिस्पांस टाइम मात्र 15 मिनट
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119 वाहन हाईवे पेट्रोलिंग में
प्रमुख सहायता प्राप्त श्रेणियां:
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घरेलू हिंसा एवं महिला-बाल अपराध: 3.57 लाख+ मामले
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स्थानीय विवाद व हिंसा: 21.79 लाख+
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सड़क दुर्घटनाएं: 1.84 लाख+
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अग्निकांड: 1.15 लाख+
महिलाओं के लिए ‘सुरक्षित यात्रा सुविधा’ बनी सुरक्षा कवच
सितंबर 2024 में शुरू की गई ‘सुरक्षित यात्रा सुविधा’ के अंतर्गत अकेले यात्रा कर रही महिलाएं अपनी यात्रा की जानकारी पुलिस से साझा कर सकती हैं। जरूरत पड़ने पर तुरंत ईआरवी भेजी जाती है, जिससे उनकी यात्रा सुरक्षित रहती है। बिहार इस सुविधा को लागू करने वाला देश का तीसरा राज्य बन गया है।
महिला पुलिस के हाथों कॉल टेकर सेंटर की कमान
पटना में डायल-112 कॉल सेंटर का संचालन महिला पुलिसकर्मियों द्वारा किया जा रहा है, जो सेवा को महिलाओं के लिए अधिक संवेदनशील, भरोसेमंद और प्रभावी बना रही है। यह पहल महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी अहम भूमिका निभा रही है।
संकट में सिर्फ एक नंबर: 112
अब बिहारवासियों को आपातकालीन स्थिति में अलग-अलग नंबर याद रखने की जरूरत नहीं, क्योंकि डायल-112 एक संपूर्ण संकट समाधान बन गया है। यह सेवा तकनीक, संवेदना और त्वरित कार्रवाई के साथ मिलकर राज्य में सुरक्षा का नया मॉडल बन चुकी है।