Madhya Pradesh News सफलता की कहानी फसल विविधिकरण अपनाने से फसल उत्पादन हुआ दुगना

✍️रिपोर्टर प्रदीप कुमार मिश्र त्योंथर, रीवा, मध्यप्रदेश
शिवनारायण के जीवन में आया परिवर्तन |खबर -रीवा जिला के सतगढ़ ग्राम के शिवनारायण नें कभी सोचा भी नहीं था कि फसल विविधिकरण कि प्रक्रिया अपनाने से प्रचुर मात्रा में उत्पादन होगा |और उनके जीवन में परिवर्तन होगा |शिवनारायण नें बताया कि अपनें खेती में पारम्परिक रूप से धान, गेहूं काला चना एवं अलसी का उत्पादन लेते थे रासायनिक उर्वरको तथा घर में रखें बीज का उपयोग करने से 12.13क्विंटल ही धान होती थी चार अलसी होती थी |इसको बेंचने पर 65.70हजार रूपये की आय हो पाती थी |उस आय से जैसे तैसे गुजर बसर चला रहा था |आय इतनी नहीं होती थी कि कुछ बचत हो सकें इसी बीच नेहरू कृषि विज्ञानं केंद्र के वैज्ञानिको से सम्पर्क करने पर उन्होंने फसल विविधिकरण की जानकारी बताई |वैज्ञानिक विधि से फसल उत्पादन लेने और जैविक खाद का उपयोग करने के लिए कहा उनकी सलाह पर रासायनिक उर्वरक की जगह जैविक खेती प्रारम्भ की इसमें फसलो को एक साथ न बोकर अलग अलग गेहूं एवं धान का उत्पादन हुआ |धान गेहूं अलसी प्रचुर मात्रा में हुईं |इनको बेंचने पर 12.60लाख रूपये की आय हुईं जिसमे मेरा और मेरे परिवार के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आया |फसलो से हुईं आय से मैंने अपनें जरूरत की सामग्री क्रय की |शिवनरायण शुक्ला नें बताया कि फसल विविधिकरण एवं उन्नत बीज से खेती बीज से बोनी करने पर बमार फसल का उत्पादन होता है आय अच्छी होती है



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