Madhya Pradesh News कंपनियां निवेशकों के प्रति रहें जागरूक : श्री मुकेश कुमार सोनी, कम्पनी पंजीयक

रिपोर्टर पवन कुमार गुप्ता ग्वालियर मध्य प्रदेश
आपकी कंपनी में कौन निवेश कर रहा है, इसकी जानकारी स्वयं निकाल सकते हैं कम्पनी संचालक
ग्वालियर 23 अक्टूबर। रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज, मध्यप्रदेश के सहयोग से म.प्र. चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री (MPCCI) द्बारा कम्पनी अधिनियम की धारा 90 के संबंध में कंपनियों को निवेशकों के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए एक सेमीनार का आयोजन ‘चेम्बर भवन` में किया गया। सेमीनार में रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज, मध्यप्रदेश-श्री मुकेश कुमार सोनी, उप पंजीयक-डॉ. अंजलि पोखरियल एवं तकनीकी सहायक-श्री आशीष तिवारी उपस्थित रहे। अध्यक्ष-डॉ. प्रवीण अग्रवाल ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि आज का कार्यक्रम बहुत महत्वपूर्ण है और आज हमें जो जानकारियाँ मिलेंगी वह हमारे व्यापार-उद्योग में आने वाले समय में कम से कम कानूनी पेचीदगियां आएं इसमें बड़ी सहायक होंगी। आज हमारे बीच पधारे अतिथियों का मैं स्वागत करता हूँ। रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनी और MPCCI के मध्य जो संवाद का सिलसिला प्रारंभ हुआ है, वह आगे भी जारी रहेगा। कार्यक्रम का संचालन कर रहे मानसेवी सचिव-दीपक अग्रवाल ने कहा कि आज के सेमीनार में जो महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी, उसे अंचल के समस्त व्यापारियों एवं उद्योगपतियों तक पहुंचाया जायेगा। कम्पनी पंजीयक-श्री मुकेश कुमार सोनी ने सेमीनार में बताया कि MPCCI के साथ हम संवाद को निरंतर बनाये रखेंगे और इसके माध्यम से भारत सरकारी की नीतियों को हम आप तक बिना किसी कंफ्यूजन के पहुंचाने का प्रयास करेंगे, जिससे व्यापार/उद्योग बढे और हमारा देश एवं प्रदेश समृद्घ हो। सरकार के विभिन्न विभाग आपको अनैतिक गतिविधियों को रोकने के लिए जागरूक करते रहते हैं। बेनामी संपति, मनी लाँड्रिंग एवं ब्लैक मनी के बारे में हम सब जानते हैं। इसी प्रकार ही कंपनी अधिनियम के तहत सिग्निफिकेंट बेनिफिशियल ऑनर्स हैं जिस पर FATF (Financial Action Task Force) संगठन द्बारा काफी काम किया जा रहा है। भारत इस संगठन का सदस्य है। इसका उद्देश्य इकॉनोमी में ब्लैक मनी को आने से रोकना है ताकि हमारे देश की इकॉनोमी क्लीन और स्ट्रांग बनी रह सके। हमारा देश 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनोमी बने इसके लिए यह बहुत आवश्यक है। आपने उदाहरण देकर समझाया कि एक कंपनी अपने लिए निवेशक चाह रही है और यदि कोई चाइना का व्यक्ति उसमें अपना पैसा निवेश कर रहा है तो आपको लगेगा कि आपको निवेशक मिल गया लेकिन वास्तव में वह अपनी ब्लैक मनी को आपकी कंपनी में लगाकर अपनी मनी को व्हाइट कर रहा है और यदि उसके पास कंपनी के अधिक शेयर हैं तो वह आपकी डिसीजन मेकिंग को प्रभावित कर सकता है। इसलिए निवेशक कौन है, यह जानना बहुत जरूरी है। कंपनी अपने निवेशक के प्रति जागरूक हों, इस सेमीनार का यही उद्देश्य है।
उप पंजीयक-डॉ. अंजलि पोखरियल ने तकनीकी जानकारी देते हुए बताया कि कंपनी अधिनियम की धारा 90 के तहत जो सिग्निफिकेंट बेनिफिशियल ऑनर्स होते हैं उनको अपना नेचर ऑफ इंटरेस्ट डिस्क्लोज करना होता है, जिसे वह कंपनी को देते हैं और उसके बाद कंपनी यह जानकारी रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज को देती है। आपने बताया कि बेनिफिशियल ऑनर्स वह होते हैं, जिसका नाम नहीं है उस शेयर पर परंतु वह उस शेयर के पीछे खड़ा शख्स है। यह सिग्निफिकेंट तब हो जाता है जब उसके पास कंपनी के 10 प्रतिशत शेयर होते हैं या 10 प्रतिशत वोटिंग राइट्स होते हैं या उस कंपनी के लाभांश में उसका 10 प्रतिशत हिस्सा होता है। सिग्निफिकेंट बेनिफिशियल ऑनर्स को अपनी जानकारी कंपनी को Ben-1 form में देना होती है। कंपनी इस जानकारी को 30 दिवस के अंदर Ben-2 form में रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज को देती है कि मेरी कंपनी में यह लोग सिग्निफिकेंट बेनिफिशियल ऑनर्स हैं। कंपनी की जबावदारी यहीं खत्म नहीं होती है। कंपनी को Ben-4 के तहत यह पता करना होगा कि उनकी कंपनी के सिग्निफिकेंट बेनिफिशियल ऑनर्स कौन हैं। इस जानकारी को वह ट्रिब्यूनल के माध्यम से भी पता कर सकती है। यदि सिग्निफिकेंट बेनिफिशियल ऑनर्स एवं कंपनी द्बारा तय समय सीमा में जानकारी नहीं दी तो फिर नियमानुसार रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज द्बारा पैनाल्टी भी लगाई जाती है। कार्यक्रम के अंत में आभार-श्री संजय धवन द्बारा व्यक्त किया गया। सेमीनार में व्यापारी एवं उद्योगपति उपस्थित रहे।