छत्तीसगढ़ब्रेकिंग न्यूज़

Chhattisgarh News अकलतरा का इंदिरा उद्यान बदहाली के कगार पर।

रिपोर्टर राकेश कुमार साहू जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़

जांजगीर चांपा से छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर-चांपा जिले के अंतर्गत अकलतरा विकासखंड के अंतर्गत अकलतरा इंदिरा उद्यान बदहाली के कगार पर है। इंदिरा उद्यान को ईको रीक्रिएशन पार्क में विकसित करने का प्रस्ताव वर्ष 2004 में भेजा गया था मगर शासन ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है यह की 68 हेक्टेयर में पहले इस उद्यान को प्रस्ताव के अनुसार विकसित किए जाने से न केवल पर्यटन की सुरक्षा होती है बल्कि जिले वासियों को मनोरंजन का एक बेहतर विकल्प भी मिलता लेकिन वन विभाग की सुरक्षा के अभाव में यह पार्क खंडहर में तब्दील हो रहा है बदहाली के कगार पर भी है जहां पर शराबी अय्याशी का अड्डा बना हुआ है यहां पर दिन प्रतिदिन अय्याशी का कार्यक्रम होता है वन विभाग द्वारा इस पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। अकलतरा के इंदिरा उद्यान को वर्ष 2004 में ईको रीक्रिएशनल पार्क के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव तत्कालीन डीएफओ द्वारा राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा गया है मगर उन प्रस्ताव का अभी तक के क्रियान्वयन नहीं किया गया है जिसमें उद्यान एवं आसपास के क्षेत्र को हरा भरा वन क्षेत्र के रूप में विकसित हो सके वन्य प्राणी के पुनर्वास की व्यवस्था करने बच्चों के लिए पार्क स्थापित करने मछली पालन केंद्र स्थापित करने एवं मिनीजू के रूप में विकसित करने जैसे कृषि एवं वानिकी कुटीर उद्योग का प्रदर्शन कच्छ स्थापित करने की योजना की मगर इसके अंतर्गत इंदिरा उद्यान का चरणबद्ध विकास होना था इसके लिए शासन द्वारा एक करोड़ 34 लाख 45 हजार रुपये 5 सालों में स्वीकृत किए जाने की मांग की गई थी लेकिन शासन ने इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव को ठंडा बस्ती में डाल दिया है वही वन विभाग की माने तो उनका अलग ही दलील है। यह कि जांजगीर चांपा जिले के अकलतरा के इंदिरा उद्यान बिलासपुर जिले के कानन पेंडारी से भी बड़ा उद्यान है जो की विकसित होने की देरी है किसी तो हो जाती है तो जागीर चांपा जिले की अकलतरा की इंदिरा उद्यान उद्यान पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण उद्यान माना जाएगा। 

अकलतरा की इंदिरा उद्यान में पहले शेर चीता भालू पशु पक्षी रहते थे जो आज के तारीख में उस उद्यान से गायब है। क्योंकि इंदिरा उद्यान आज के तारीख में अय्याशी का अड्डा बना हुआ है जिसका कोई रखरखाव ही नहीं है तथा राज्य शासन द्वारा इसकी घोर उपेक्षा की जा रही है। राज्य शासन द्वारा जो राशि आवंटन की जाती है एक करोड़ 34 लाख 45 हजार रुपए वन विभाग के वन मंत्री डिएफो एवं मंत्री विधायक को सांसदों के द्वारा इस पर रुचि नहीं ली जा रही है ऐसा लगता है कि इंदिरा उद्यान भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई राशि निकाली गई कागजों में विकसित कर दिया गया है उद्यान को हकीकत में देखा जाए तो आज बदहाली के कगार पर है इंदिरा उद्यान। हमारे दबंग केसरी संवाददाता का कहना है कि इंदिरा उद्यान की हालत को देखा जाए तो इतनी बदहाली के कगार पर है कि जहां पर देखो कुछ करकट का ढेर लगा रहता है शराबियों का अड्डा बना रहता है अय्याशी का अड्डा बना रहता है उसकी रखरखाव भी नहीं है राज्य शासन द्वारा लिपापोती कर दी गई है विडंबना यह है कि यहां के क्षेत्रीय विधायक भी इस और ध्यान नहीं देते नहीं तो इंद्र उद्यान कानन पेंडारी से भी बड़ा उद्यान बनता। वन मंत्री द्वारा एक करोड़ 34 लाख 45 हजार रुपए की राशि स्वीकृत कराकर हजम कर ली गई है इंदिरा उद्यान की विकसित करने वाली परियोजना की राशि को।

Indian Crime News

Related Articles

Back to top button