Chhattisgarh News कई समितियों ने किसानों के साथ सरकार से भी धोखाधड़ी की है।

रिपोर्टर राकेश कुमार साहू जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़
रायगढ़ :- जिले में कई समितियों ने किसानों के साथ सरकार से भी धोखाधड़ी की है। सालों से एक ही समिति में जमे प्रबंधकों ने अति कर दी है। लैलूंगा, राजपुर, जतरी के साथ लिबरा का मामला भी सुर्खियों में है। किसानों के नाम पर आए खाद-बीज को नकद बेचकर राशि गबन कर ली गई है। अब इस मामले में कंप्यूटर ऑपरेटर और लिपिक के नाम भी सामने आ रहे हैं। गबन का आंकड़ा 50 लाख से भी अधिक है। सहकारी समितियों को दिवालिया बनाने में प्रबंधकों का सबसे बड़ा हाथ है। जहां जिसे मौका मिला समिति के एकाउंट में हेराफेरी कर ली। किसानों के लिए खाद, बीज और लोन उपलब्ध कराने के लिए समितियां ही माध्यम हैं लेकिन प्रबंधकों के भ्रष्टाचार की वजह से व्यवस्था गड़बड़ा जाती है। जो खाद किसानों को लोन के जरिए दिया जाता है उसे भी नकद में बिचौलियों को बेच दिया जाता है। नकद लोन देकर वसूली की जाती है लेकिन बैंक में जमा नहीं किया जाता। लिबरा समिति में भी ऐसा ही किया गया है। प्रबंधक आनंदराम पटेल ने खाद-बीज भंडारण, नकद बीज विक्रय और नकद लोन वसूली की राशि बैंक में जमा ही नहीं की। करीब 50 लाख रुपए गबन किए गए हैं। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि समिति के कंप्यूटर ऑपरेटर और लिपिक भी इसमें शामिल हैं।
किसी प्रबंधक पर कार्रवाई को तैयार नहीं उप पंजीयक
समितियों का मूल काम धान खरीदी नहीं बल्कि खाद, बीज और लोन वितरण है। संस्थाओं को दुरुस्त रखने का काम सहकारिता विभाग का है। भूतपूर्व उप पंजीयक बसंत कुमार ने समितियों को काबू में रखा था, लेकिन उनके बाद आए उप पंजीयकों ने प्रबंधकों से दोस्ती कर ली। वर्तमान डीआरसीएस चंद्रशेखर जायसवाल ने तो किसी भी समिति को ठीक करने और प्रबंधकों पर कार्रवाई का साहस ही नहीं किया। कितनी भी बड़ी गड़बड़ी हो श्री जायसवाल ने प्रबंधकों को बचाने में पूरी ताकत लगा दी है। इस वजह से ज्या