Chhattisgarh News सुराजी गांव गोदान में बनाए गए शेड में कर रहे हैं मशरूम का उत्पादन।

रिपोर्टर राकेश कुमार साहू जांजगीर छत्तीसगढ़
14 जून 23 को चंडी दाई स्व सहायता समूह द्वारा की महिलाएं मशरूम उत्पादन करते हुए स्वरोजगार के माध्यम से स्वावलंबी बन गए अपने परिवार का भरण पोषण अच्छी तरह से कर रहे हैं इसके साथ ही दूसरी स्व सहायता समूह की महिलाएं के लिए प्रेरणा स्रोत बन रही है महिलाओं का मानना है कि उनके इस कार्य को आगे बढ़ाने में अहम योगदान राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी नरवा गरवा घुरवा एवं बाड़ी योजना का है जिससे बनाए गए गौठान में जुड़ने के बाद एक गांव से लेकर दूसरे गांव तक एवं शहरों तक इनके मशरूम का कारोबार फैल चुका है और मशरूम उत्पादन में समूह की महिलाएं की आय में वृद्धि हुई है। गौरतलब यह है कि जांजगीर-चांपा जिले के जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत चोर भट्टी गोठा नमें मशरूम उत्पादन से चंडी दाई स्व सहायता समूह की महिलाएं जुड़ी हुई है समूह की अध्यक्ष श्रीमती रामेश्वरी कश्यप बताती हैं कि महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में शासन का अहम योगदान रहा है जिसके द्वारा मशरूम के प्रशिक्षण से लेकर गोठान में पेशेडका निर्माण करा कर दिया गया वरना ऐसा संभव नहीं था कि महिलाओं को गांव में इतना अच्छा रोजगार मिल सकेगा जबसे गो ठानों में मशरूम उत्पादन की आजीविका गतिविधियों से जुड़ी तब से तरक्की की रास्ता खुलने शुरू होगा वह बताती है कि खेती-किसानी के साथ साथ ही मशरूम उत्पादन से भी आय अर्जित कर रहे हैं गांव सहित आसपास के बाजार में मशीन की मांग इतनी बढ़ गई है कि समूह को राष्ट्रीय आजीविका मिशन बिहान योजना से क्षत्रिय निधि की राशि 15000 एवं सामुदायिक निवेश निधि की राशि ६०000 एवं बैंक लिंकिंग राशि के माध्यम से ₹100000 की आर्थिक सहायता राशि मिली साथ ही गोठान में समूह को मशरूम उत्पादन करने के कार्य शुरू किए गए इस वर्ष मशरूम उत्पादन करते हुए लगभग 40 कुंटल विक्रय किया गया जिसमें समूह को ₹100000 की आमदनी हुई समूह की महिलाएं बताती है कि मसूरी के विक्रय से जो भी आमदनी हुई है
उनसे समूह की महिलाओं ने बराबर बराबर हिस्सों में बांट लिया और सुनने घर परिवार के खर्चे एवं बच्चों के पढ़ाई लिखाई अन्य कार्यों में खर्च किए किए जाते हैं श्रीमतीषं रामेश्वरी अंजनी कश्यप गौरी बाउ कौशल्या कश्यप खगेश्वरी कश्यप गंगाबाई कश्यप सहित समूह की सदस्यों का कहना है कि समूह के गठन होने के बाद से कोई विशेष काम नहीं था अधिकांश समय यूं ही खाली निकल जाता था लेकिन गोठमें जबसे मशरूम की गतिविधियों से जुड़े हैं तब से बेकार बैठना बंद हो गया है। शहरों तक बड़ी है मशरूम की मांग समूह की महिलाओं ने बताया कि उनके मशरूम की मांग गांव सहित शहरों तक बढ़ी है चोर भट्टी गांव के अलावा किरारी ताजा तरह में मशरूम की खपत होती है इसके अलावा यहां से अकलतरा जांजगीर एवं बिलासपुर के लोग भी मशरूम लेकर जाते हैं जिन्हें अच्छी आमदनी हो रही है,



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