28 से 31 अक्टूबर तक हुसैन सागर, हैदराबाद में हुई नेशनल प्रतियोगिता में चमका बस्तर का जल कौशल

तेज़ हवाओं और “मौथा” तूफ़ान के बीच भी बस्तर के खिलाड़ियों ने साहस और दृढ़ निश्चय का परिचय देते हुए 28 से 31 अक्टूबर तक हुसैन सागर झील, हैदराबाद में आयोजित “Tribal Canoe Sprint National Championship – 2025” में शानदार प्रदर्शन किया। बस्तर की टीम ने कठिन मौसम के बावजूद कुल 16 पदक जीतकर छत्तीसगढ़ का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया।

सीनियर वर्ग में मनमती बघेल ने सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए अकेले 12 मेडल जीते। सतदेव बघेल ने (K1 500 मी ब्रॉन्ज, K1 200 मी सिल्वर, K2 200 मी ब्रॉन्ज) सहित 3 पदक, बलिराम कश्यप एवं सतदेव बघेल की जोड़ी ने K2 200 मी ब्रॉन्ज, सागर एवं अनुज ने C4 500 मी जूनियर वर्ग ब्रॉन्ज, ईशा एवं मालती ने K2 500 मी सब-जूनियर ब्रॉन्ज और शिव पुजारी ने K1 200 मी सब-जूनियर ब्रॉन्ज हासिल किया।

रायपुर के खिलाड़ियों ने भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। सतीश कुमार धुब ने C1 500 मी सिल्वर और सुमित खुरेती ने C2 500 मी ब्रॉन्ज मेडल जीता। रायपुर टीम ने कुल 3 मेडल जीते।

प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक किरण सिंह देव ने खिलाड़ियों को बधाई देते हुए कहा कि बस्तर की बेटियों ने अपने प्रदर्शन से प्रदेश का मान बढ़ाया है। महापौर संजय पांडे ने कहा कि यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बनेगी और बस्तर की पहचान को नई ऊँचाई देगी।

कलेक्टर बस्तर हरीश स. ने कहा कि बस्तर के खिलाड़ियों ने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर जिले का नाम पूरे प्रदेश में रोशन किया है। अपर कलेक्टर एवं सहायक संचालक खेल एवं युवा कल्याण विभाग ऋषिकेश तिवारी ने कहा कि खिलाड़ियों ने अनुशासन, समर्पण और मेहनत से यह उपलब्धि हासिल की है — यह पूरे बस्तर के लिए गर्व का क्षण है।

इस सफलता के पीछे टीम के कोच अशोक साहू और प्रभारी डी. कोटेश्वर राव नायडू का सतत नेतृत्व रहा। दोनों ने खिलाड़ियों को न केवल तकनीकी प्रशिक्षण दिया, बल्कि कठिन परिस्थितियों में मानसिक रूप से मजबूत रहने की प्रेरणा भी दी।

प्रतियोगिता से लौटने पर बस स्टैंड में खिलाड़ियों का भव्य स्वागत किया गया। स्वागत में सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश श्राफ, विदु शेखर झा, कलविंदर सिंह, शिव रतन खत्री सहित अनेक खेलप्रेमी एवं नागरिक उपस्थित रहे। बस्तर की यह ऐतिहासिक उपलब्धि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय बनी है। बस्तर ने फिर साबित किया — जहाँ जज़्बा और लगन हो, वहाँ तूफ़ान भी हार मान जाता है।



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