Chhattisgarh News : नीलकंठ कंपनी में बाहरी लोगों की रोज हो रही है भर्ती, भू-विस्थापितों पर दबाव बनाने के लिए,कंपनी ने भाड़े पर लाए बाउंसर जिसका वीडियो देखा जा सकता हैं

रिपोर्टर मनोज मानिकपुरी कोरबा छत्तीसगढ़
जिले के कुसमुंडा एसईसीएल (SECL) क्षेत्र में संचालित नीलकंठ कंपनी एक बार फिर विवादों में घिर गई है। कंपनी पर लगातार यह आरोप लग रहा है कि वह स्थानीय भू-विस्थापितों की अनदेखी करते हुए बाहरी लोगों को नौकरी दे रही है। हालात ऐसे बन गए हैं कि जिन ग्रामीणों ने अपनी जमीन एसईसीएल को दी उनके परिवार आज भी रोजगार की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं जबकि कंपनी हर दिन नए ड्राइवर और सुपरवाइजर की भर्ती कर रही है। गांव के कई भू-विस्थापित युवाओं ने बताया कि उनकी जमीन खदान विस्तार के लिए ली गई लेकिन बदले में रोजगार नहीं मिला। कंपनी का दावा है कि चयन मेरिट और आवश्यकता के आधार पर किया जाता है जबकि ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें उनके वैधानिक अधिकार से वंचित किया जा रहा है। यही कारण है कि भू-विस्थापित बार-बार आंदोलन करने पर मजबूर हो रहे हैं। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि महिलाएं भी आंदोलन का हिस्सा बनने लगी हैं। एक महिला भू-विस्थापित, जिसने अपनी जमीन कंपनी को दे दी कैमरे के सामने रोते हुए बताती है कि उसके परिवार का कोई भी सदस्य नौकरी पर नहीं लगाया गया। वह कहती है जमीन देने के बाद भी हमें रोजगार नहीं मिला अब हमारे बच्चे दर-दर भटक रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है इसमें मुख्य रूप से मुकेश एच आर अश्वनी सिंह,की मनमानी और दादागिरी चलती है और जब वे आंदोलन करते हैं तो प्रशासन मौके पर आता है और पुलिस अधिकारी भी मानते हैं कि भू-विस्थापितों का रोजगार पर हक बनता है। लेकिन नीलकंठ कंपनी इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। उल्टा भू-विस्थापितों को डराने-धमकाने के लिए कंपनी ने बाउंसर तक तैनात कर दिए हैं। इनमें महिला बाउंसर भी शामिल हैं जो आंदोलन कर रही महिलाओं पर दबाव बनाने का प्रयास करती हैं। पुलिस प्रशासन कई बार मौके पर पहुंच चुका है और ग्रामीणों को शांत कराने की कोशिश की है। प्रशासनिक अधिकारियों का भी कहना है कि रोजगार का पहला हक भू-विस्थापितों का होना चाहिए। इसके बावजूद कंपनी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। यही वजह है कि आंदोलन बार-बार तेज हो रहा है और स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर कंपनी इसी तरह बाहरी लोगों को भर्ती करती रही तो आने वाले समय में आंदोलन और उग्र हो सकता है। सवाल यह उठ रहा है कि आखिर जब रोजगार का दावा भू-विस्थापितों के हक में है, तो उनकी अनदेखी क्यों हो रही है कोरबा जिले के कुसमुंडा क्षेत्र में नीलकंठ कंपनी की भर्ती प्रक्रिया लगातार विवादों को जन्म दे रही है। भू-विस्थापितों का कहना है कि उनके साथ अन्याय हो रहा है जबकि कंपनी अपनी मनमानी पर अड़ी है। यदि जल्द समाधान नहीं निकला तो यह आंदोलन बड़े स्तर पर फैल सकता है और खदान संचालन पर भी असर डाल सकता है।