Chhattisgarh New : छत्तीसगढ़ का बिलासपुर शहर आज न्यायधानी और शिक्षा के हब के रूप में जाना जाता है,

ब्यूरो चीफ राकेश कुमार साहू जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़
शिक्षा के हब के रूप में जाना जाता है, लेकिन इसके नाम की कहानी इतिहास और लोककथाओं में दर्ज एक साहसी महिला बिलासा देवी से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि इस क्षेत्र में कभी एक वीरांगना महिला रहती थीं, जिनका नाम बिलासा था। उनका व्यक्तित्व निडरता और साहस का प्रतीक था। उन्होंने अपने परिवार और समाज की रक्षा में कई चुनौतियों का सामना किया और अपनी वीरता के लिए पूरे इलाके में प्रसिद्ध हो गईं। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि उनकी वीरता और शौर्य के कारण इस जगह को लोग “बिलासा पुर” कहने लगे। धीरे-धीरे जब यह क्षेत्र विकसित हुआ और बस्तियां बढ़ीं, तो इसका उच्चारण और रूप बदलकर “बिलासपुर” हो गया। यही वजह है कि आज भी शहर का नाम बिलासा देवी की याद दिलाता है। इतिहासकार भी मानते हैं कि बिलासपुर नाम की जड़ें बिलासा देवी से जुड़ी हुई हैं। यह न सिर्फ महिला शक्ति का प्रतीक है, बल्कि छत्तीसगढ़ की गौरवशाली गाथाओं में से एक है। लोकगीतों और परंपराओं में आज भी उनका उल्लेख होता है और सांस्कृतिक आयोजनों में उनकी स्मृति को जीवित रखा जाता है। आज बिलासपुर भले ही आधुनिक पहचान रखता हो लेकिन इसके नाम के पीछे छिपी यह कहानी हमें बताती है कि इस धरती की नींव वीरता, साहस और महिला शक्ति पर टिकी है। आज भी बिलासपुर मैं जब भी कार्यक्रम होता है तो बिलासा गुड्डी में होता है क्योंकि बिलासा के नाम से हवाई अड्डा का निर्माण हुआ है इसीलिए जब हमारा राज्य बन रहा था तो राज्य की राजधानी की मांग बिलासपुर को मिलना था मगर विकल्प यह रखा गया कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय केवल बिलासपुर में रहेगा राजधानी रायपुर रहेगा इसलिए बिलासपुर हाईकोर्ट रखा गया की बिलासपुर सभी तरफ से मध्य में स्थित है इसलिए बिलासपुर में ही रखा गया हाई कोर्ट को बिलासा एक केवट जाति से संबंध रखती है इसलिए केवटीन् के नाम से बिलासपुर को बिलासपुर नाम ही दिया गया।आज बिलासा के नाम से सम्मान दिया जाता है और अनेक रंगारंग कार्यक्रम भी होता है यह ऐतिहासिक स्थान है जहां पर आने को सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं बिलासा के नाम से।