नीरज सिंह हत्याकांड में पूर्व विधायक संजीव सिंह सहित सभी आरोपी बरी
8साल बाद आज आया अदालत का फैसला
धनबाद के व्यवहार न्यायालय ने आज, 27 अगस्त 2025, हाई-प्रोफाइल 2017 हत्याकांड में संजीव सिंह (पूर्व विधायक) और अन्य सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। यह फैसला करीब आठ साल और छह महीने बाद आया है। 21 मार्च 2017 को नीरज सिंह और तीन अन्य की हत्या उस दिन हुई। थी।
इस मामले में कुल 10 आरोपियों के खिलाफ ट्रायल चला था। इनमें से एक आरोपी जेल में मार दिया गया था, जबकि बाकी सभी—जैसे डब्लू (दब्लू) मिश्रा, पिंटू सिंह, बिनोद सिंह, चंदन सिंह, सागर सिंह, कुर्बान अली, पंकज सिंह, रणवीर/धनंजय (धनजी), संजय सिंह—को अदालत ने बरी कर दिया।
👉मामले में 408 सुनवाई की तारीखें दर्ज रहीं और छह अलग-अलग कोर्टों में सुनवाई हुई।
👉धनबाद में सुरक्षा और जन-परिस्थितियों में बदलाव
फैसले से पहले प्रशासन ने संभावित तनाव और टकराव को रोकने के लिए कोर्ट परिसर क्षेत्र में सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक निषेधाज्ञा लगाई। साथ ही, सुरक्षा हेतु जैप (JAP) की तैनाती की गई, गश्त तेज की गई, और सभा/प्रदर्शन को प्रतिबंधित किया गया।
👉फैसले की घोषणा के बाद संजीव सिंह के समर्थकों में उत्साह देखा गया।
👉1. न्यायालय ने सुनाया फैसला
बनाए गए सबूतों की कमी के आधार पर कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इसमें शामिल थे पूर्व विधायक संजीव सिंह भी, जो आज अदालत में स्ट्रेचर और एंबुलेंस से पेश हुए थे।
👉2. प्रशासन द्वारा उठाए गए सुरक्षा कदम
— सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक निषेधाज्ञा जारी
— कोर्ट परिसर, रणधीर वर्मा चौक से डीआरएम चौक तक सीमित क्षेत्र
— पुलिस और जैप की अतिरिक्त तैनाती, गश्त में वृद्धि
— प्रदर्शन, रैली, सभा व हथियार-धारण पर रोक
— इस दौरान जज, वकील और पुलिस के वाहनों पर यह प्रतिबंध लागू नहीं था।
👉3. समर्थकों की प्रतिक्रिया और माहौल
— संजीव सिंह के समर्थक उत्साहित
— हालात शांतिपूर्ण बने रहे, टकराव से बचा गया
— प्रशासन ने नियंत्रण में माहौल बनाए रखा
👉झरिया विधायक रागिनी सिंह का बयान: “न्यायपालिका पर है पूर्ण विश्वास,
समर्थकों के बीच आशा की किरण:
उन्होंने यह भी व्यक्त किया अदालत का फैसला आने के बाद जन- समुदाय में उम्मीद की स्थिति उत्पन्न हुई है।
सुरक्षा व्यवस्था: झरिया और आस-पास के क्षेत्रों, विशेषत: कतरास मोड़ पर, भारी पुलिस तैनाती और सख्त निगरानी रखी गई है।
राजनीतिक हल्कों में हलचल: इस हाई-प्रोफाइल फैसले का प्रभाव झारखंड की राजनीति में व्यापक रूप से महसूस किया जा रहा है—दोनों पक्षों के समर्थक प्रतिक्रियाशील और सजग हैं।