
अगर आपकी आय ₹2.5 लाख सालाना से कम है और आप बिहार के निवासी हैं, तो अब दिल की किसी भी बीमारी का इलाज या सर्जरी आपके लिए पूरी तरह मुफ्त होगी। चाहे पेसमेकर लगाना हो, वाल्व रिप्लेसमेंट कराना हो या एंजियोप्लास्टी — अब पैसे की कमी इलाज में बाधा नहीं बनेगी।
राज्य के एकमात्र सरकारी हृदय रोग संस्थान — इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी (IGIC) — को इसके लिए ₹5 करोड़ का रिवाल्विंग फंड उपलब्ध कराया गया है। इससे संस्थान के डॉक्टरों की अनुशंसा पर गरीब मरीजों का मुफ्त इलाज संभव हो सकेगा।
संस्थान के निदेशक डॉ. सुनील कुमार के अनुसार, हर दिन 12 से अधिक बड़ी सर्जरी जैसे बाइपास या एंजियोप्लास्टी फ्री में की जा रही हैं। मरीजों को दवा से लेकर भोजन तक सब कुछ मुफ्त दिया जा रहा है। यदि किसी मरीज के पास आयुष्मान भारत कार्ड नहीं है, तब भी वे मुख्यमंत्री चिकित्सा अनुदान योजना से लाभान्वित हो सकते हैं — और इसके लिए उन्हें स्वास्थ्य विभाग के चक्कर नहीं लगाने होंगे।
अन्य सरकारी अस्पतालों जैसे AIIMS या IGIMS में इस योजना के लिए पहले फाइल स्वास्थ्य विभाग को भेजी जाती है और उसके बाद ही निर्णय होता है, जिससे मरीजों को इंतजार करना पड़ता है। लेकिन IGIC में यह प्रक्रिया सीधी और तेज़ है, ताकि समय पर इलाज संभव हो सके।
यह पहल उन हजारों गरीब मरीजों के लिए राहत की सांस है, जिनके लिए दिल की बीमारी अब मौत की सजा जैसी बन गई थी। सरकार की इस योजना से अब “दिल के मरीज” उम्मीद के मरीज बन सकेंगे।