रजपुरा क्षेत्र के ग्राम देवरा भूरा में सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाले खाद्यान्न वितरण में भारी अनियमितता के आरोप सामने आए हैं
रजपुरा क्षेत्र के ग्राम देवरा भूरा में सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाले खाद्यान्न वितरण में भारी अनियमितता के आरोप सामने आए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कोटेदार रघुराज द्वारा नियमित रूप से खाद्यान्न कम मात्रा में दिया जा रहा है और शिकायत करने पर ग्रामीणों के साथ अभद्र भाषा में व्यवहार किया जाता है। इस संबंध में ग्रामवासियों ने जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराकर प्रशासन से जांच की मांग की है।
ग्रामवासी बृजेश पुत्र झम्मन सिंह ने बताया कि उनके राशन कार्ड पर कुल पाँच यूनिट हैं। निर्धारित मात्रा के अनुसार उन्हें एक निश्चित मात्रा में गेहूं और चावल मिलना चाहिए, लेकिन डीलर रघुराज ने दो किलो राशन कम दिया। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो डीलर और उसके बेटे कृष्ण ने न सिर्फ झगड़ने का प्रयास किया बल्कि खुलेआम धमकी देते हुए कहा, “आप कहीं और से राशन ले लो, हम तो ऐसे ही देंगे। जो करना है कर लो।”
बृजेश का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। पूरे गांव में यह समस्या लंबे समय से चल रही है। डीलर हर कार्डधारक से प्रति यूनिट एक किलो तक खाद्यान्न कम देता है। खासतौर पर जिनके पास अधिक यूनिट हैं, उनके साथ दो किलो तक की कटौती कर दी जाती है। वितरण के समय कोई निर्धारित समय नहीं होता, जिससे लोग कई बार लाइन में खड़े रहकर भी बिना राशन लिए लौट जाते हैं।
अन्य ग्रामीणों ने भी डीलर पर मनमानी और दुर्व्यवहार के आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि राशन वितरण के समय डीलर अक्सर अशिष्ट भाषा का प्रयोग करता है और कई बार लाभार्थियों से झगड़ भी पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि वे मजबूरी में रजपुरा कोटे से राशन लेने को विवश हैं क्योंकि गांव में कोई अन्य विकल्प नहीं है।
ग्रामीणों की मांग है कि कोटेदार रघुराज की तत्काल जांच की जाए और यदि आरोप सही पाए जाएं तो उसके कोटे को निरस्त कर दिया जाए। साथ ही जिन लाभार्थियों को कम राशन दिया गया है, उन्हें उनका पूरा हक वापस दिलाया जाए। ग्रामीणों ने यह भी सुझाव दिया है कि राशन वितरण केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं या निगरानी हेतु एक स्थायी अधिकारी की नियुक्ति की जाए जिससे ऐसी अनियमितताएं दोबारा न हों।
इस विषय में आपूर्ति विभाग के अधिकारियों की प्रतिक्रिया अब तक प्राप्त नहीं हुई है। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि यदि सात दिनों के भीतर उचित जांच और कार्रवाई नहीं हुई, तो वे ब्लॉक और जिलास्तरीय कार्यालय पर धरना प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।
ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों से भी आग्रह किया है कि वे मामले में हस्तक्षेप करें और यह सुनिश्चित कराएं कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ वास्तव में उन लोगों तक पहुंचे जिनके लिए वह बनी हैं।
ग्राम देवरा भूरा का यह मामला एक बार फिर दर्शाता है कि जमीनी स्तर पर सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में किस प्रकार की लापरवाहियां और भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है। यदि ऐसे मामलों पर त्वरित और प्रभावी कार्रवाई नहीं की जाती, तो यह न केवल गरीबों के अधिकारों का हनन है बल्कि सरकार की छवि को भी नुकसान पहुंचा सकता है।