ब्रेकिंग न्यूज़मनोरंजनहरियाणा

Haryana News प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य बजरंग शास्त्री ने नारनौल के समीप गांव खटौटी में श्रीमद् भागवत गीता कथा के दूसरे दिन सत्यम-शिवम-सुंदरम के महत्व को बताया

रिपोर्टर सतीश नारनौल हरियाण 

नारनौल के नजदीक ग्रांम खटोंटी मे श्रीमति पिंकी शर्मा एवं समस्त भारद्वाज परिवार द्वारा आयोजित संगीतमय श्री मदभागवत कथा के द्वितीय दिवस पर आज सर्वप्रथम आचार्य मनीष शास्त्री व पं.संदीप शास्त्री , राहुल शास्त्री, तेजपाल शर्मा , अशोक शर्मा ने मुख्य यजमान कमल कांत शर्मा , मनीष भारद्वाज एवंम समस्त भारद्वाज परिवार द्वारा विधि विधान से सभी देवताओं का पूजन करवाया और भागवत की आरती व व्यास पूजन कर कथा का शुभारम्भ करवाया। प्रसिद्ध कथावाचक भागवत आचार्य पंडित बजरंग शास्त्री जी ने भागवत कथा में बताया की श्रीमद भागवत साक्षात नारायण का स्वरूप है और मुक्ति प्रदाता है और भागवत के आरम्भ में सबसे पहले सत्य को प्रणाम किया गया है, क्योंकि सत्य में ही राम है, सत्य में ही कृष्ण है और सत्य में ही शिव है। इसलिये लिखा है सत्यम- शिवम-सुंदरम। आचार्य जी ने बताया की घर परिवार का पालन पोषण करना हमारा धर्म है , लेकिन हमारी हर एक श्वास में प्रभु का नाम स्मरण होता रहे यही मानव जीवन का परम धर्म है। हम सभी को विश्वास के साथ निस्वार्थ भक्ति ही करनी चाहिये। क्योंकि यही मानव जीवन का परम धर्म है ।भागवत में मुख्य रूप से भगवान के 24 अवतारों का वर्णन किया गया है। इसके बाद आचार्य जी ने व्यास जी के जन्म , शुकदेव जन्म और परीक्षित जी के जन्म की और कलियुग आगमन, कुंती स्तुति , भीष्म पितामह द्वारा देह त्याग ,राजा परीक्षित जी को संत के श्राप और शुकदेव आगमन की कथा सुनाई और इसके उपरांत शुकदेव द्वारा भगवान नारायण द्वारा बह्मा को चतु:श्लोकि भागवत उपदेश किया और बताया की किस प्रकार भगवान वराह रूप धारण किया और हिरण्याक्ष का उद्धार किया और रसातल मे गई पृथ्वी को लेकर आये। आचार्य जी ने बताया की भगवान नारायण की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण आरम्भ किया और सर्वप्रथम दस प्रकार की सृष्टि वर्णन किया उसके उपरांत ब्रह्मा जी ने अपने शरीर से सृष्टि के पहले पुरुष मनु और स्त्री शतरूपा को महारानी को प्रकट किया। कथा के अंत में श्री शुकदेव जी एवंम परीक्षित जी सुंदर झांकी भी दिखाई जिसका सभी ने पूजन किया सुंदर भजन भी सुनाए गए जिसमें सभी ने झूम कर नाच कर अपनी हाजिरी लगाई आचार्य जी ने कथा मे कहा की मनुष्य को अपने घर और समाज के कार्य करते हुए प्रभु का नाम स्मरण एवम पुण्य के कार्य भी अवश्य करते रहने चाहिये वो व्यक्ति धन्य होता है जो प्रभु का नाम स्मरण करता है और करवाता है क्योंकि व्यक्ति दुनिया से विदा होकर जाता है तब सब यही छोड़कर चला जाता है केवल उसके पुण्य कर्म एवम भजन स्मरण और उसकी अछाई बुराई ही उसके साथ जाती है इसलिये व्यक्ति को कोशिश यही करनी चाहिये की हमारे हाथो से सभी का भला हो । कार्यक्रम के बारे जानकारी देते हुए प्रवीण शर्मा ने बताया कि प्रतिदिन दोपहर 1बजे से शाम 5 बजे तक भगवताचार्य पं.बजरंग शास्त्री जी महाराज अपने मुखारबिंद से भक्तो को भागवत कथा की गंगा मे आनंद दिलाते है जिसमे सभी सभी धर्म प्रेमी बंधुओ से इस धार्मिक आयोजन मे भागवत की ज्ञान गंगा में सपरिवार आकर कर भाग लेने की अपील की । इस अवसर पर मुख्य रूप से श्रीमति पिंकी शर्मा, अन्नु , संगीता, कृष्णा, पूजा, सपना , प्रवीण , नवीन, कमल , मनीष, अनिल शर्मा और पूनम शर्मा सहित सैकड़ों की संख्या में अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।

Indian Crime News

Related Articles

Back to top button