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Jharkhand News भाजपा कार्यकर्ताओं को पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की तरह संघर्ष कर लक्ष्य प्राप्त करने की जरूरत: नंदकिशोर

रिपोर्टर महेंद्र कुमार यादव चतरा झारखंड

चतरा  संघर्ष कर अपने वजूद कायम रखना, मंजिल लक्ष्य को प्राप्त करना, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से हम सभी भाजपा कार्यकर्ताओं को सीखने और कोशिश करनी की जरूरत है। उक्त बातें भाजपा नेता नंदकिशोर सुलभ ने बाबूलाल मरांडी को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष मनोनयन पर कही है। श्री मरांडी को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर हर्ष व्यक्त किया है और उन्हें बधाई दी है। झारखंड के गांधी, गिरिडीह के बाबू और संथाल के कर्म योगी लाल हुए बाबूलाल मरांडी बाबूलाल मरांडी गिरिडीह तिसरी के सुदूरवर्ती गांव में जन्म से लेकर शिक्षक की नौकरी करते हुए समाज सेवा को समर्पित जीवन यापन में शामिल किया। पर विधि प्रकृति को कुछ और ही सुन्दर बढ़िया इच्छा थी करने की तभी संघ के संपर्क में आकर विश्व हिन्दू परिषद के संगठन मंत्री के रूप में अपने जीवन को सम्पूर्ण तौर पर समर्पित कर दिया। बाबूलाल मरांडी अनवरत संघ कार्य को सुचारू ढंग से करते हुए चल ही रहे थे कि भारतीय जनता पार्टी इन्हें अपनी ओर खींच लिया या फिर संघ ही हीरे के रूप में पहचान करते हुए इन्हें सन् (1991) उन्नीस सौ इककानवे में झारखंड के बड़े ही नामी गिरामी हस्ती दिसोम गुरु शिबू सोरेन दुमका लोकसभा चुनाव में दो दो हाथ करने के लिए तैयार कर भेज दिया, पर शिबू सोरेन इस चुनाव में भारी पड़ इन्हें शिकस्त दी। बाबूलाल स्वभाव से सरल पर अंदर से जिद्दी किस्म के इंसान हैं, जो स्वभाव आम झारखंडियों की होती है वे संपर्क स्थापित करते हुए समाज सेवा में समर्पित होकर क्षेत्र में लगातार लगे रहे। पुनः लोकसभा चुनाव में फिर दो दो हाथ शिबू सोरेन से हुई, पर महज पांच हजार वोटों से पिछड़ गए। आगे में मध्यावधि चुनाव होती है और बाबूलाल शिबू सोरेन को पटखनी दी और वाजपेई के मंत्री मंडल में शामिल होकर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में राज्य मंत्री के दायित्व को खूब सुंदर ढंग से निर्वाह करते हुए सरकार के साथ ही साथ अपने क्षेत्र में लगातार सक्रिय होकर काम करने लगे। इसी बीच पुनः देश वर्ष (1999) में मध्यावधि चुनाव में वाजपेई सरकार कांग्रेस के दुष्चक्र में एक वोट से गिर गई। पर मरांडी का लगाव और जुड़ाव महसूस कर शिबू सोरेन की पत्नी श्रीमती रुपी सोरेन उम्मीदवार बनी और मुंहकी खायी, पुनः एक बार फिर बाबूलाल केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ। 2000 पंद्रह नवंबर को झारखंड अलग राज्य का स्वरूप लेता है और बाबूलाल मरांडी प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेते है। विकास को गति प्रदान करते हुए समाज विरोधी ताकतों के खिलाफ कानून का राज स्थापित किया। झारखंड अमन चैन की ओर तेजी से बढ़ने लगा और कुछ लोगों को ये प्रगति विकास रास नहीं आया। झारखंड के बाबूलाल की सरकार अस्थिर हो गई। सरकार अपदस्थ हो गई। बाबूलाल भाजपा में रहते हुए समाज सेवा और संगठन का काम कर ही रहे थे कि स्वाभिमान को ठेस पहुंची और इन्होंने भाजपा से नाता तोडकर अलग पार्टी बनाई। बाबूलाल कोडरमा के सांसद रहते हुए त्याग पत्र देकर पुनः लोकसभा चुनाव में कोडरमा की जनता का आशीर्वाद प्राप्त किया। साथ ही अपने नेतृत्व में बहुत सारे विधायक जितवाया। इनका भी मन भाजपा के वैगर नहीं लग रहा था और भाजपा के लोग भी अधूरे महसूस कर रहे थे। दोनों तरफ का तकरार प्यार में बदल गया और पुनः बाबूलाल भाजपा के 2020 में हो गये। भाजपा पुनः वही सम्मान प्रतिष्ठा देते हुए विधानसभा में विधायक दल का नेता चुना और नेतृत्व क्षमता पर विश्वास किया। अब पुनः लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव 2024 में होना निश्चित है तो पार्टी इन्हें प्रदेश की बागडोर सौंपकर झारखंड की व्याकुलता तथा मोदी के सपने को साकार करने के लिए इन्हें झारखंड भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। हम सभी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त कर बाबूलाल को हार्दिक बधाई एवं असीम शुभकामनाएं देते हुए पार्टी और झारखंड दोनों सबल और सर्वश्रेष्ठ बने, यही शुभकामना है।

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