तेलंगाना सरकार का अनुसूचित जनजातियों के लिए बड़ा फैसला, दिए जाने वाले आरक्षण को 6 से 10 प्रतिशत तक बढ़ाया
तेलंगाना सरकार ने अनुसूचित जनजातियों के लिए शैक्षणिक संस्थानों और राज्य सरकार की सेवाओं में दिए जाने वाले आरक्षण को बढ़ा दिया है। सरकार ने इस आरक्षण को तत्काल प्रभाव से 6 प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है।

नई दिल्ली, एएनआइ। तेलंगाना सरकार ने राज्य के अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए बड़ा फैसला लिया है। सरकार अब अनुसूचित जनजातियों के लिए शैक्षणिक संस्थानों और राज्य सरकार की सेवाओं में दिए जाने वाले आरक्षण को बढ़ा दिया है। सरकार ने इस आरक्षण को तत्काल प्रभाव से 6 प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है।
यह आरक्षण शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में लागू होगा। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने विशेष परिस्थितियों के चलते यह निर्णय लिया है। तेलंगाना में राज्य की आबादी का 10 प्रतिशत हिस्सा आदिवासियों (अनुसूचित जनजातियों) का है।
राज्य विधानसभा में जारी हुआ विधेयक
लगभग छह साल पहले तेलंगाना राज्य विधानसभा ने राज्य में आदिवासियों के लिए आरक्षण बढ़ाने वाला एक विधेयक पारित किया था। इसे राष्ट्रपति की सहमति के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा गया था। राज्य सरकार और आदिवासियों की बार-बार गुहार के बावजूद केंद्र ने इस बिल को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
शुक्रवार को जारी हुआ आदेश
केंद्र के उदासीन रवैये से परेशान मुख्यमंत्री ने हाल ही में अपने फैसले की घोषणा की थी कि टीआरएस सरकार कई दशकों से शोषित और उत्पीड़ित आदिवासियों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए बढ़े हुए आरक्षण को लागू करेगी। इसी के तहत शुक्रवार शाम को आदेश जारी किए गए हैं।
केसीआर ने राज्य के गठन के लिए किया लंबा संघर्ष
बता दें कि तेलंगाना को अलग राज्य बनाने के लिए के. चंद्रशेखर राव ने लंबी लड़ाई लड़ी। केसीआर राव के नेतृत्व में तेलंगाना समाज ने राज्य का दर्जा हासिल करने के लिए एक अथक प्रयास किया। राज्य के गठन के बाद मुख्यमंत्री ने उप-योजना के तहत अनुसूचित जनजातियों के लिए बजटीय आवंटन इस शर्त के साथ बढ़ा दिया कि आवंटित बजट उसी साल खर्च किया जाना चाहिए। साथ ही यह भी कहा कि अव्ययित धन को उसी उद्देश्य के लिए अगले वित्तीय साल में ले जाया जा सकता है।सरकार द्वारा आदिवासियों के उत्थान के लिए आदिवासी आवासीय विद्यालयों को बढ़ाने सहित कई कल्याणकारी उपाय किए जाने के बावजूद आदिवासी अत्यधिक गरीबी और पिछड़ेपन से जूझ रहे हैं। राज्य सरकार का यह निर्णय आदिवासियों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए गेमचेंजर साबित होगा।