पीएफ़आई पर बैन से कैसे बच गई उसकी शाखा एसडीपीआई – प्रेस रिव्यू
पीएफ़आई की राजनीतिक शाखा है एसडीपीआई. बुधवार को पीएफ़आई और उससे जुड़े संगठनों को बैन कर दिया गया. मगर एसडीपीआई का नाम उसमें नहीं था. इसकी चर्चा गुरुवार को छपे अख़बारों में है.

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफ़आई) और उसकी 8 सहयोगी संस्थाओं पर केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद उसकी राजनीतिक इकाई ‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया’ (एसडीपीआई) ने कहा है कि उस पर ताज़ा प्रतिबंध का कोई असर नहीं पड़ेगा.
एसडीपीआई ने यह भी दावा किया है कि वह एक स्वतंत्र संस्था है और पीएफआई से उसका कोई लेना देना नहीं है.

गुरुवार को प्रकाशित लगभग सभी अख़बारों ने पीएफआई व उसकी सहयोगी संस्थाओं पर लगे इन प्रतिबंधों और एसडीपीआई के दावे को पहले पन्ने पर प्रमुखता से जगह दी है.
अंग्रेज़ी दैनिक हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, पीएफ़आई के साथ कई मुद्दों पर मिलकर काम करने वाली एसडीपीआई का नाम प्रतिबंधित संस्थाओं की सूची में नहीं है. अख़बार ने एसडीपीआई की ओर से जारी एक बयान को छापा है, जिसमें इन प्रतिबंधों को लोकतंत्र और मानवाधिकारों पर हमला करार दिया गया है.

अपने बयान में एसडीपीआई ने कहा है, ”यह शासन अभिव्यक्ति, विरोध करने और संस्था बनाने की आज़ादी को निर्ममता से दबा रही है, जो भारतीय संविधान के मौलिक सिद्धांतों के खि़लाफ़ है.”

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