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लालगंज में लोग खुद तोड़ रहे अपने घर

कंधे पर गठरी और आंखों में आंसू

कोसी का कहर: लालगंज में लोग खुद तोड़ रहे अपने घर, कंधे पर गठरी और आंखों में आंसूकंधे लेकर कर रहे पलायन

सुपौल (बिहार), 25 अगस्त 2025:

बिहार की शोक कही जाने वाली कोसी नदी एक बार फिर अपने प्रचंड रूप में लौट आई है। सुपौल जिले के बलवा पंचायत अंतर्गत लालगंज गांव में नदी का ऐसा रौद्र रूप देखने को मिला है कि लोग अब अपने ही हाथों से अपने घरों को गिराकर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं।

कटाव से तबाही, घरों का अंत

गांव के एक हिस्से में कोसी नदी का कटाव इतना तेज हो गया है कि कई घर आधे बह चुके हैं, और बाकी के लोग अपने कच्चे घरों को खुद गिरा रहे हैं, ताकि बचा हुआ सामान निकाल सकें। हर गली में सन्नाटा और सिसकियां सुनाई दे रही हैं। महिलाओं की आंखों में आंसू हैं, सिर पर गठरी और बर्तन हैं, और उनके पीछे पीछे चल रहे हैं छोटे-छोटे बच्चे, जिन्हें अब तक नहीं समझ आया कि उनका आंगन और खेल का मैदान क्यों छिन रहा है।

कोसी बराज से छोड़ा गया 1.34 लाख क्यूसेक पानी

बीते 24 घंटे में कोसी बराज से 1 लाख 34 हजार क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है, जिससे नदी में उतार-चढ़ाव बना हुआ है और इससे कटाव की रफ्तार और खतरनाक हो गई है। लालगंज के किनारे खड़े पेड़, झोपड़ियां, खेत—सब नदी की तेज धार से टकरा कर टूट रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर यही हाल रहा, तो जल्द ही पूरा गांव नदी की गोद में समा जाएगा।

“सपनों का भी विस्थापन हो रहा है”

यह सिर्फ घर उजड़ने की कहानी नहीं है। यह उन सपनों के डूबने की कहानी है, जिन्हें पीढ़ियों ने मिलकर सींचा था। जिन खेतों में कभी हरियाली थी, वहां अब रेत और पानी है। जिन घरों में कभी हंसी गूंजती थी, वहां अब केवल खामोशी और डर है।

प्रशासन की कोशिशें नाकाफी

हालात की गंभीरता को देखते हुए जल संसाधन विभाग की टीम मौके पर पहुंची है। SDO ओम प्रकाश मिश्रा ने कहा, “कटाव बहुत तेजी से हो रहा है, लेकिन विभाग इसे रोकने के लिए पूरी कोशिश कर रहा है।” हालांकि, गांव वालों की आंखों में अविश्वास और निराशा झलक रही है।

स्थानीय प्रतिनिधि की मांग: राहत और पुनर्वास जरूरी

स्थानीय जीप सदस्य परवेज नैयर ने प्रशासन से मांग की है कि तटबंध की मरम्मत से आगे बढ़कर सरकार को राहत और पुनर्वास कार्यों पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा,

“लोग भूखे हैं, बेघर हैं। यहां कम्यूनिटी किचन, अस्थायी आवास और चिकित्सा सुविधाओं की सख्त ज़रूरत है।”

मुख्य बिंदु:

कोसी नदी का तेज कटाव, लालगंज गांव में तबाही

1.34 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से खतरा बढ़ा

ग्रामीण खुद तोड़ रहे अपने घर, कर रहे पलायन

महिलाएं-बच्चे रोते हुए छोड़ रहे गांव

प्रशासन की कार्रवाई जारी, लेकिन ग्रामीणों में भरोसे की कमी

पुनर्वास, भोजन और चिकित्सा की मांग तेज

यह आपदा नहीं, एक सामाजिक त्रासदी है। अब सवाल ये है—

क्या सरकार और प्रशासन वक्त रहते इस गांव को डूबने से बचा पाएंगे?

@ State Incharge Animesh Anand

Indian Crime News

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