चित्रकोट कन्नड़ा – छत्तीसगढ़ी संगमा

तिथि: 10 अगस्त 2025, रविवार
समय: प्रातः 10:00 बजे से
स्थान: ग्रैंड शिल्पी इंटरनेशनल, जगदलपुर, छत्तीसगढ़
सम्पूर्ण भारत की एकता का उत्सव — भाषाओं, संस्कृतियों और नागरिक सहभागिता का एक ऐतिहासिक संगम
छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र का सांस्कृतिक नगर जगदलपुर 10 अगस्त को एक अद्वितीय और ऐतिहासिक आयोजन का साक्षी बनने जा रहा है — चित्रकोट कन्नड़ा-छत्तीसगढ़ी संगम, जो छत्तीसगढ़ और कर्नाटक के नागरिकों द्वारा स्वयंस्फूर्त रूप से आयोजित एक राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक समरसता का अभिनव प्रयास है। कार्यक्रम की शुरुआत महानदी, कावेरी और तुंगभद्रा के पवित्र जल को चित्रकोट की इन्द्रावती नदी में मिलाकर एक प्रतीकात्मक जल-संगम से होगी, जो भारत माता की सभी संतानों के ऐक्य का जीवंत उदाहरण है। यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से प्रारंभ हुए काशी तमिल संगमम् से प्रेरित है और भारत की भाषाई समरसता और भावात्मक एकता को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक सार्थक पहल है।
कार्यक्रम की प्रमुख झलकियाँ:
कर्नाटक के सिरसी की श्रीमती निर्मला हेगड़े की यक्षगान मंडली दक्षिण भारतीय परंपरा की भव्यता को प्रस्तुत करेगी।। छत्तीसगढ़ की गौरवशाली लोक परंपरा को प्रसिद्ध पंडवानी गायिका श्रीमती ऋतु वर्मा मंच पर जीवंत करेंगी।। हिंदी और कन्नड़ा में गीत प्रस्तुत करेंगी प्रसिद्ध गायिका पद्मिनी ओक ।। मंच पर होंगी लोकप्रिय अभिनेत्री ऋतिका यादव, जो सांस्कृतिक रंग में आयोजन को और सजीव बनाएंगी।
विचार संगोष्ठी में होंगे प्रमुख विचारक और विशेषज्ञ:
आईआईएम रायपुर के निदेशक डॉ. राम कुमार काकानी, जो प्रबंधन की दृष्टि से राष्ट्रीय एकता के सूत्र सुझाएँगे।। प्रो. उदय रघुनाथ बिर्जे, कर्नाटक के एआई विशेषज्ञ, तकनीक से जोड़ने के नए मार्ग दिखाएँगे।। वरिष्ठ पत्रकार और एनडीटीवी के सलाहकार संपादक सुमित अवस्थी, बताएँगे मीडिया का सकारात्मक योगदान इस दिशा में कैसा हो सकता है।। कृष्णा देवराया, विजयनगर साम्राज्य के 20 वी पीढ़ी एवं कला और संस्कृति के संयोजक। जयदीप कार्णिक, डिजिटल प्रमुख, अमर उजाला – क्षेत्रीय पत्रकारिता की भूमिका पर विचार, विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) सुधर्शन, कन्नड़ा लेखक – विभिन्न क्षेत्रों की साहित्यिक कड़ियों पर चर्चा। रवि कुमार अय्यर , भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रतिष्ठित विद्वान – दर्शनशास्त्रीय गहराई के साथ संवाद। इस संगम में सम्मिलित होंगे तिरुमला देवराय, जो विजयनगर साम्राज्य की अराविदु वंश परंपरा के 21वीं पीढ़ी के वंशज हैं और भारत के सांस्कृतिक ऐक्य को दर्शाती एक ऐतिहासिक उपन्यास के लेखक हैं।
छत्तीसगढ़ के सृजनशील कलाकारों में शामिल होंगे:
प्रख्यात फ़िल्मकार और लेखक गंगासागर पांडा, तथा
छत्तीसगढ़ी फ़िल्म लेखक और निर्देशक अनुपम वर्मा, जो स्थानीय संस्कृति को राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करेंगे। यह आयोजन केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत माता के सभी भाषाई संतानों की आत्मीयता और एकता का उत्सव है। छत्तीसगढ़ के लोगों द्वारा प्रेरित इस आयोजन में, भारत की अनेक भाषाएं बोलने वाले आम नागरिक मिलकर कन्नड़ा भाषा — भारत माता की एक सशक्त पुत्री — की गरिमा का उत्सव मनाएँगे।
यह कार्यक्रम कोई संस्था द्वारा नहीं, बल्कि एक टीवी न्यूज़ प्रोड्यूसर और छत्तीसगढ़ पुत्र आकाश वर्मा एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सीमा महोत्रा वर्मा, एक शिक्षिका जो जम्मू और कश्मीर से संबंध रखती हैं, के द्वारा अपने व्यक्तिगत संसाधनों और भावनाओं से किया गया एक राष्ट्र निर्माण यज्ञ है।