
रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन भोपाल मध्यप्रदेश
नागपंचमी हिंदूओं का एक प्रमुख त्योहार है, जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है और उन्हें दूध, फूल, और अन्य प्रसाद अर्पित किए जाते हैं। नागपंचमी का महत्व धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यह त्योहार नाग देवता की पूजा और आराधना के लिए मनाया जाता है, जिससे सर्प दोष से मुक्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। नाग देवता को शिवजी के गले में लिपटे वासुकि नाग के रूप में पूजा जाता है। मान्यताओं के अनुसार नाग देवता की पूजा अनुष्ठान में नाग देवता की मूर्ति या चित्र को जल और दूध से स्नान कराकर, चंदन और फूल अर्पित किए जाते हैं। नागपंचमी के दिन व्रत रखा जाता है और फलाहार किया जाता है। नाग देवता को समर्पित मंदिरों में जाकर प्रार्थना और अनुष्ठान किए जाते हैं। प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष नागपंचमी 2025 में 29 जुलाई को मनाई जाएगी। इस दिन नाग देवता की पूजा और आराधना करके सुख-समृद्धि और सर्प दोष से मुक्ति की कामना की जाती है।नागपंचमी की उत्पत्ति से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, महाभारत के समय जनमेजय ने अपने पिता परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए नाग यज्ञ किया था, जिसे आस्तिक मुनि ने रोका था। इस दिन से नागों की पूजा की परंपरा आरंभ हुई। नाग देवता की पूजा से कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है घर में सुख-समृद्धि और खुशियां आती हैं नाग देवता की कृपा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नागपंचमी पूजा विधि में सुबह की पूजा जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें एवं लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर नाग देवता की प्रतिमा स्थापित करें। नाग देवता को दूध, फूल, और अन्य प्रसाद अर्पित करें नाग पंचमी पर मंत्रों का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है।नागपंचमी के दिन कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए।नाग देवता की पूजा करने से उनका सम्मान होता है।नागपंचमी का पर्व प्रकृति, जीव-जंतुओं और सांपों के साथ सहअस्तित्व का प्रतीक है।जमीन की खुदाई, पेड़-पौधे काटना, और जीव-जंतुओं को सताना नहीं चाहिए।