दल्हा पहाड़ पर नाग पंचमी में मेले का आयोजन, घूमने के लिए है बेहतरीन स्पॉट, पहुंचने के लिए 4 किलोमीटर की ऊंचाई चढ़ना पड़ता है।
जांजगीर जिले का प्रसिद्ध दल्हा पहाड़ घूमने के लिए बहुत से सुंदर जगह, चारों तरफ का प्राकृतिक वातावरण आपका मन मोह लेगा. यहां पर लगने वाला नाग पंचमी का मेला अपने आप में ही विशेष है.
जांजगीर-चांपा. जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर अकलतरा ब्लॉक में स्थित प्रसिद्ध दल्हा पहाड़ है, जिसकी ऊंचाई लगभग 750 मीटर है. इस पहाड़ की चोटी पर पहुंचने और वहां से चारों ओर का नजारा देखने के लिए दूर-दूर से जांजगीर बिलासपुर कोरबा रायगढ़ बलौदाबाजार, सक्ति छत्तीसगढ़ की सभी जिले से हर साल लग भाग कई लाख लोग आते हैं और खूबसूरत दृश्य का आनंद लेते हैं. दल्हा पहाड़ की चोटी पर जाने के लिए 4 किलोमीटर की रास्ता चढ़ाई करनी पड़ती है. यहां का प्राकृतिक वातावरण आपका मन मोह लेगा.
जांजगीर बलौदा अकलतरा क्षेत्र का पहाड़ी
जानकारों का मानना है कि दल्हा पहाड़ भूगर्भिक क्रिया यानी ज्वालामुखी उद्गार से बना है. यह जांजगीर-चांपा क्षेत्र का पठारी इलाका है और यहां चूना पत्थर भारी मात्रा में पाया जाता है. यही कारण है कि दल्हा पहाड़ की चट्टानें भी चूना पत्थर की हैं.

नागपंचमी के दिन मेले का आयोजन
हर साल नागपंचमी के दिन इस दल्हा पहाड़ पर मेले का आयोजन होता है. यहां मुनि का आश्रम और सूर्यकुंड प्रसिद्ध हैं. कहा जाता है कि कुंड का पानी पीने से सभी प्रकार की बीमारियां दूर होती हैं. नागपंचमी के दिन लोग पहाड़ की चोटी पर चढ़ते हैं और मेले का आनंद लेते है.
4 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई
दल्हा पहाड़ की चोटी पर जाने के लिए जंगल से गुजरते हुए और पत्थरों से भरे लंबे रास्ते को पार करना होता है. यहां जाने के लिए 4 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई करनी पड़ती है. पहाड़ के चारों ओर कोटगढ़, पचरी, पंडरिया और पोड़ी गांव हैं. यहां से घने जंगल के अंदर से जब लोग पहाड़ की ओर बढ़ते हैं, तो उन्हें कटीले पौधों और पथरीले रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. इस जंगल में सांप भी रहते हैं, लेकिन इसके बावजूद लोग इस यात्रा और मेले का भरपूर आनंद लेते है।
जांजगीर चांपा जिले के दल्हा पहाड़ पर नागपंचमी के दिन मेला लगता है, जो इस वर्ष 29 जुलाई मंगलवार को मनाया जाएगा. यहां नागपंचमी के दिन लाखों की संख्या में लोग दल्हा पहाड़ चढ़ने आते हैं. यह पहाड़ जांजगीर चांपा जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर अकलतरा ब्लॉक अन्तर्गत दल्हा पोड़ी गांव में आता है. बिलासपुर से इसकी दूरी लगभग 40 किलोमीटर है।इस पहाड़ पर मुनि का आश्रम और सुर्यकुण्ड है, जो काफी प्रसिद्ध है. मान्यता है कि नागपंचमी के दिन इस कुंड का पानी पीने से सभी प्रकार की बीमारियां दूर होती हैं.
आपको बता दें कि जिले की इस प्रसिद्ध दल्हा की ऊंचाई लगभग 750 मीटर है. इस पहाड़ की ऊपरी चोटी पर पहुंचने और ऊपर से चारों ओर का नजारा देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते ओर खूबसूरत नजारा का आनंद लेते हैं. दल्हा पहाड़ की चोटी पर जाने के लिए जंगल के रास्ते से गुजरते हुए और कटीली पत्थरों से भरा लंबा रास्ता तय करना होता है. यहां जाने के लिए सीढ़ी नहीं बना हुआ है, ऊपर चढ़ने के लिए 4 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. नांगपंचमी के दिन इस पहाड़ को चढ़ने के लिए राज्यभर से लोग आते हैं.