
गंगा की लहरों में समाया संकट मोचन मंदिर, ग्रामीणों में आस्था और अस्तित्व को लेकर गहरी चिंता
भागलपुर (बिहार), 23 जुलाई: भागलपुर जिले के सबौर प्रखंड अंतर्गत ममलखा पंचायत के चायंचक गांव में गंगा नदी का रौद्र रूप एक बार फिर भारी तबाही लेकर आया है। बुधवार की सुबह जैसे ही सूरज की पहली किरण धरती पर पड़ी, गांववाले हतप्रभ रह गए—वर्षों से आस्था का केंद्र रहा संकट मोचन हनुमान मंदिर गंगा की तेज धाराओं में समा चुका था। मंगलवार तक मंदिर अपनी जगह पर मौजूद था, लेकिन एक रात में सबकुछ बह गया।
इस प्राकृतिक आपदा ने न केवल मंदिर को निगल लिया, बल्कि उससे सटी सड़क भी बहा ले गई। ग्रामीणों की आंखों में आंसू हैं, क्योंकि यह केवल एक इमारत का नहीं, बल्कि उनकी आस्था, परंपरा और सामूहिक स्मृतियों का नुकसान है। कभी जिस स्थल पर सैकड़ों श्रद्धालु दीप जलाकर संकट मोचन से गांव की रक्षा की प्रार्थना करते थे, आज वहां सिर्फ गंगा की गर्जन करती लहरें बह रही हैं।
गांव में अब डर और चिंता का माहौल है। गंगा का कटाव लगातार गांव की बस्ती की ओर बढ़ रहा है। प्रशासन की ओर से कटाव रोकने के लिए कच्चे बांस लगाए गए थे, लेकिन गंगा की वेगवान लहरों के आगे वे बेअसर साबित हुए हैं।
पूर्व मुखिया कल्याणी देवी और जिला पार्षद जय प्रकाश मंडल ने जिला प्रशासन से मांग की है कि तत्काल प्रभाव से लोहे की चदरा, जाली और भारी पत्थरों का उपयोग कर कटाव रोधी कार्य शुरू किया जाए, ताकि गांव की बची हुई भूमि को सुरक्षित किया जा सके।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो गंगा गांव के अन्य हिस्सों को भी अपनी चपेट में ले लेगी, जिससे आसपास के इलाके बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं और जान-माल का बड़ा नुकसान हो सकता है।