
बिहार विधानसभा का अंतिम सत्र 22 जुलाई से, अपराध और मतदाता सूची पर गरमाएगा सियासी पारा
पटना, 20 जुलाई 2025: बिहार विधानसभा का मानसून सत्र 22 जुलाई, सोमवार से शुरू हो रहा है। यह सत्र विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह मौजूदा विधानसभा का अंतिम यानी विदाई सत्र होगा। पांच दिवसीय यह सत्र (22 से 26 जुलाई तक) राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है। इसे आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक रणनीति तय करने के मंच के रूप में देखा जा रहा है।
विपक्ष रहेगा आक्रामक, सरकार पेश करेगी जनहितकारी एजेंडा
विपक्षी महागठबंधन इस सत्र में दो प्रमुख मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी में है —
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राज्य में बढ़ती अपराध की घटनाएं
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मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर)
महागठबंधन का आरोप है कि एनडीए सरकार का “सुशासन” केवल प्रचार मात्र है, जबकि हकीकत में राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक हो चुकी है। आए दिन हत्याओं की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिनमें आम लोग, व्यापारी और राजनीतिक कार्यकर्ता तक निशाना बनाए जा रहे हैं।
दूसरी ओर, मतदाता सूची से एक खास वर्ग के लोगों के नाम हटाने के आरोप भी विपक्ष जोरशोर से उठाने वाला है। इस मुद्दे की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और 25 जुलाई के बाद कोई आदेश आने की संभावना है। ऐसे में पूरा सत्र इस संवेदनशील विषय से प्रभावित हो सकता है।
सरकार का जवाब: आंकड़े, योजनाएं और कानून
वहीं, सरकार विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए आंकड़ों के जरिए यह साबित करने की कोशिश करेगी कि हर अपराधी पर सख्ती से कार्रवाई हो रही है। सरकार यह भी कहेगी कि सभी अपराध रोके नहीं जा सकते, खासकर आपसी गैंगवार, व्यापारिक प्रतिस्पर्धा या सुपारी किलिंग जैसी घटनाएं।
सरकार सत्र में अपनी उपलब्धियों को सामने रखकर विपक्ष पर बढ़त बनाने की कोशिश करेगी। इनमें प्रमुख हैं:
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सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35% आरक्षण
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1.11 करोड़ से अधिक लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन में बढ़ोतरी
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125 यूनिट मुफ्त बिजली योजना
पहले दिन की कार्यवाही
सत्र के पहले दिन सदन में कई पारंपरिक और संवैधानिक प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी:
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नवनिर्वाचित सदस्यों का शपथग्रहण
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राज्यपाल द्वारा जारी अध्यादेशों की प्रतियां पटल पर रखी जाएंगी
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2025-26 के लिए प्रथम अनुपूरक व्यय विवरण प्रस्तुत किया जाएगा
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दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि दी जाएगी
निष्कर्ष
बिहार विधानसभा का यह सत्र भले ही “विदाई सत्र” हो, लेकिन इसकी कार्यवाही और बहसें आने वाले विधानसभा चुनावों की दिशा तय करने में निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं। देखना होगा कि यह सत्र सौहार्द्रपूर्ण विदाई का अवसर बनता है या राजनीतिक टकराव का आखिरी मंच।