अपने बच्चे को गोद मैं लिए एक पिता आज गुरुवार के दिन NRC के दरवाजे खड़ा होकर गुहार लगाता रहा की मैडम जी मेरा बच्चा भूखा है। इसे दूध की जरूरत है । लेकिन मैडम जी को बच्चे पर बिल्कुल तरस नहीं आया ।
हम बात कर रहे है कटनी जिले के रीठी सामुदायिक केंद्र में स्थित बाल शक्ति संजीवनी पोषण पुनर्वास केंद्र (NRC) की जहा अस्पताल में कुपोषण से जूझते मासूम बच्चों को राष्ट्रीय पोषण पुनर्वास योजना के तहत कुछ गंभीर कुपोषित, तो कुछ मध्यम कुपोषण की श्रेणी में रखकर भर्ती कर, विशेष देखरेख, नियमित दवाएं,और खास पोषक आहार दिया जाता हैं ताकि वह जल्द ही रिकवर हो सके । यहां के हालात देखकर ऐसा लगता है कि यह योजना अब कागज़ों तक ही सिमट कर रह गई है। यहां न तो समय पर बच्चो को दूध मिल रहा है और न ही पोषणयुक्त आहार।सरकारी दस्तावेजों में भले ही योजना सफल बताई जा रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
पीड़ित बच्चे के पिता ने बताया डॉक्टर बोलते हैं दूध मिलेगा, लेकिन सुबह का दूध दोपहर तक नहीं मिलता। कई बार रात में बच्चा भूखा रोता है, कोई नहीं सुनने वाला नहीं है।
जबकि राष्ट्रीय पोषण पुनर्वास केंद्र NRC में भर्ती हर बच्चों को आसानी से पचने वाला, ऊर्जा और पोषण से भरपूर F-75 फॉर्मूला दूध वजन के अनुसार प्रतिदिन हर 2 घंटे में 1 बार, यानी दिन में 8 से 12 बार दिया जाता हैं । क्योंकि यह दूध कम प्रोटीन और कम सोडियम वाला होता है, जिससे बच्चा धीरे-धीरे संभले।और शरीर को स्थिर तथा अंदरूनी अंगों को काम करने लायक बनाना होता है। और जब बच्चा कुछ स्थिर हो जाता है, तब उसे F-100 फॉर्मूला दूध हर 3 घंटे में 1 बार, यानी दिन में 6-8बार और ऊर्जा व प्रोटीन युक्त ठोस भोजन दिया जाता है। जिसका पोषण पुनर्वास केंद्र में सार्वजनिक तौर पर डाइट चार्ट भी नहीं लगाया गया है, आखिर इसका क्या कारण है आप समझ सकते हैं ।
NRC में हर 2-3 घंटे में दूध देना अनिवार्य है, चाहे बच्चा जाग रहा हो या सो रहा हो। दूध अगर समय पर न मिले, तो बच्चा रिकवर नहीं कर पाता, और फिर से गंभीर कुपोषण में लौट सकता है। लेकिन जब दूध ही समय पर नहीं मिलेगा, तो पोषण कहाँ से मिलेगा,,सूत्रों की मानें तो दूध सप्लाई में नियमितता नहीं है फॉर्मूला दूध की जगह साधारण दूध दे दिया जाता है । स्टाफ में मुखिया मुख्यालय में न रहकर बाहर से आकर नौकरी करती है हफ्तों गोल रहती है । लेकिन सुना जाता है की वेतन पूरा निकला जाता है । वही NRC में डॉक्टर की नियमित विज़िट नहीं हो रही. रिकॉर्ड में तो बच्चों को सब कुछ मिल रहा है, लेकिन हकीकत में नहीं।पोषण पुनर्वास योजना राज्य और केंद्र सरकार की साझी जिम्मेदारी है। ज़िला चिकित्सा अधिकारी (CMHO), NRC प्रभारी,और अस्पताल अधीक्षक इस लापरवाही के लिए सीधे तौर पर उत्तरदायी हैं। जब सरकारी रिकॉर्ड में हर चीज़ सही है, तो फिर बच्चों को समय पर दूध क्यों नहीं मिल रहा, आखिर क्यों एक पिता को दूध का कटोरा लेकर भीख मांगना पड़ रहा है । जब समय पर पोषण नहीं दिया जाएगा तो बच्चा रिकवरी केसे होगा ऐसी स्थिति में बच्चो की जान को खतरा भी हो सकता है.।
यह सिर्फ एक अस्पताल की कहानी नहीं है । यह उस सिस्टम की असलियत है, जो कागज़ों में तो बच्चों को दूध पिलाता है, लेकिन हकीकत में उन्हें भूखा सुलाता है। क्या अब भी कोई जागेगा? या फिर ये मासूम यूं ही कुपोषण की भेंट चढ़ते रहेंगे?
अब सवाल यह उठता है…जब सरकारी योजनाएं इतनी संवेदनशील हैं, तो उनके क्रियान्वयन में यह लापरवाही क्यों? क्या कोई अधिकारी इन हालात की निगरानी कर रहा है? क्या बच्चों की जान बचाने के लिए किसी को जवाबदेह ठहराया जाएगा,,? हमारे प्रशासन से मांग है कि रीठी NRC की तत्काल जांच कराई जाए,और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो, ताकि बच्चों के लिए पोषण और दूध की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए,,। और कोई भी बच्चा कुपोषित न रहे