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Madhya Pradesh News मोक्ष की और अग्रसर आचार्य श्री ,संसार के प्रत्येक जीव के कल्याण की भावना रखने वाले, जन-जन के भगवन आचार्य हुए ब्रह्मलीन

रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन भोपाल मध्यप्रदेश

पूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के संल्लेखना पूर्वक समाधि लेने की खबर न सिर्फ जैन समाज के लिए बल्कि समूचे भारत और विश्व के लिए अपूरणीय क्षति है। युग दृष्टा ब्रहमांड के देवता संत शिरोमणि आचार्य प्रवर श्री विद्यासागर जी महामुनिराज 17 फरवरी शनिवार तदनुसार माघ शुक्ल अष्टमी के दिन रात्रि में 2:35 बजे हुए ब्रह्मलीन हो गए। परम पूज्य गुरुदेव ने विधिवत सल्लेखना बुद्धिपूर्वक धारण कर ली थी। पूर्ण जागृतावस्था में उन्होंने आचार्य पद का त्याग करते हुए 3 दिन के उपवास गृहण करते हुए आहार एवं संघ का प्रत्याख्यान कर दिया था एवं प्रत्याख्यान व प्रायश्चित देना बंद कर दिया था और अखंड मौन धारण कर लिया था। 6 फरवरी मंगलवार को दोपहर शौच से लौटने के उपरांत साथ के मुनिराजों को अलग भेजकर निर्यापक श्रमण मुनिश्री योग सागर जी से चर्चा करते हुए संघ संबंधी कार्यों से निवृत्ति ले ली और उसी दिन आचार्य पद का त्याग कर दिया था।

उन्होंने आचार्य पद के योग्य प्रथम मुनि शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि श्री समयसागर जी महाराज को योग्य समझा और तभी उन्हें आचार्य पद दिया जावे ऐसी घोषणा कर दी थी।10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक के बेलगाँव जिले के सदलगा में शरद पूर्णिमा के दिन जन्मे विद्यासागर 22 नवंबर 1972 को 26 वर्ष की आयु में मुनि विद्यासागर से आचार्यश्री बने थे। आचार्य श्री संस्कृत,प्राकृत और कई आधुनिक भाषाओं, हिंदी, मराठी, कन्नड़ के विशेषज्ञ थे। आचार्य श्री हिंदी और संस्कृत के लेखक भी रहे हैं। कई शोधकर्ताओं ने स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट डिग्री के लिए उनके कार्यों का अध्ययन किया । भारत भूमि ऐसे अलौकिक संत के दर्शन, प्रेरणा, आशीष, स्पर्श और करूणा से धन्य हुई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैन संत आचार्य विद्यासागर महाराज के समाधि लेने पर गहरा दुख व्यक्त किया उन्होंने कहा कि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज का निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है । प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए आचार्य जी के बहुमूल्य प्रयासों को हमेशा याद किया जाएगा । उन्होंने पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरि जैन मंदिर में आचार्य श्री के साथ अपनी मुलाकात को भी याद किया और कहा कि यह मुलाकात उनके लिए अविस्मरणीय रहेगी। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि आध्यात्मिक चेतना के पुंज, विश्ववंदनीय संत शिरोमणि परमपूज्य आचार्य गुरुवर श्री 108 विद्यासागर जी महाराज की संलेखना पूर्वक समाधि सम्पूर्ण जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।आपका संयमी जीवन और महान विचार हमें सदैव सत्पथ पर चलने की प्रेरणा देते रहेंगे। पूर्व मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोशल मीडिया एकाउंट पर लिखा कि राष्टृ संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का समाधिपूर्वक निधन का समाचार सम्पूर्ण जगत को स्तब्ध और निशब्द करने वाला है। मेरे जीवन में आचार्य श्री का गहरा प्रभाव रहा, उनके जीवन का अधिकतर समय मध्यप्रदेश की भूमि में गुजरा और उनका मुझे भरपूर आशीर्वाद मिला। आचार्य श्री के सामने आते ही हृदय प्रेरणा से भर उठता था। उनका आशीर्वाद असीम शांति और अनंत ऊर्जा प्रदान करता था। उनका जीवन त्याग और प्रेम का उदाहरण है आचार्य श्री जीते जागते परमात्मा थे।उनका भौतिक शरीर हमारे बीच ना हो लेकिन गुरु के रूप में उनकी दिव्य उपस्थिति सदैव आस पास रहेगी।

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