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Chhattisgarh News मंत्री विधायकों की वेतन सबसे अधिक एवं मुख्यमंत्री की छत्तीसगढ़ राज्य में कर्मचारियों की तनख्वाह कम।

रिपोर्टर राकेश कुमार साहू जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ राज्य की मंत्री विधायकों की तनख्वाह एवं मुख्यमंत्री की तनख्वाह सबसे अधिक है एवं अधिकारियों की भी तनख्वाह ज्यादा है मगर अधीनस्थ कर्मचारियों की तनख्वाह बहुत ही कम है यह वेतन विसंगति तो मंत्रालय स्तर से ही तैयार हो रही है जिसके चलते कर्मचारी संघ दिन प्रतिदिन हड़ताल पर बैठ जाते हैं चाहे वह द्वितीय श्रेणी तृतीय श्रेणी चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी ही क्यों ना हो। मंत्री विधायक को सांसदों का वेतन अधिक है अगर किसी इलेक्शन में हार जाते हैं तो उनको आजीवन पेंशन की पात्रता हो जाती है और सारी सरकारी सुविधाओं से उनको ली कर दिया जाता है मगर एक तृतीय वर्ग द्वितीय वर्ग चतुर्थ वर्ग श्रेणी के कर्मचारियों की वेतन एवं पेंशन बढ़ोतरी नहीं किया जाता जिससे काफी असंतोष व्याप्त रहता है। इस तरह से मजदूरी दर भी छत्तीसगढ़ राज्य में बहुत ही काम है एवं बेरोजगारी भी चरम सीमा पर है इससे यह साबित होता है कि मुख्यमंत्री से लेकर अधिकारी मालामाल विधायक सांसद भी मालामाल हो जाते हैं। जनता हो रही है कंगाल क्योंकि छत्तीसगढ़ राज्य में सबसे ज्यादा महंगाई की दर है। छत्तीसगढ़ राज्य में मुख्यमंत्री की शासनकाल में नरवा गरवा घुरवा बारी योजना जो चली है कहीं पर अच्छी है तो कहीं पर बुरी है क्योंकि हर योजना पर राज्य शासन के जितने भी उच्च अधिकारी हैं वह कमिश्न काटने के पश्चात भुगतान करते हैं। गोठान योजना भी है जहां पशुओं को रखने का दाना चारा पानी की व्यवस्था भी नहीं है गौठान समूह के अध्यक्ष एवं सचिव भी रुचि कर कार्य नहीं करते हैं इसलिए की उच्च अधिकारियों को मालामाल कर देते हैं कोई भी अधिकारी आता है इन्वेस्टिगेशन में तो इन्वेस्टिगेशन अधिकारी को कमीशन थाम कर मामले को रफा दफा कर दिया जाता है मगर गोठानों में उचित व्यवस्था नहीं होती है दाना चारा पानी का। गौठान में उचित मात्रा में पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है जहां पर देखा जाए तो और पूछा जाता है सरपंचों से तो उन्होंने कहा कि पंप तो चोरी हो गया तो हम पानी कहां से व्यवस्था करें जानवरों के लिए अधिकारी आता है देख कर चला जाता है मगर कारवाही नहीं होता है क्योंकि अधिकारी मालामाल हो जाता है। हमारे हमारे दबंग केसरी संवाददाता जांजगीर-चांपा जिले के गो ठानों का निरीक्षण किया तो पशुओं के लिए चारा पानी दाना की व्यवस्था नहीं है छत्तीसगढ़ सरकार इस मामले पर खर्च तो कर रही है मगर क्रियान्वयन करने वाले संचालक सही नहीं है जिसके चलते पशु सड़कों पर नजर आ रहे हैं। यह भी है कि कर्मचारी संघ अगर मल्लो हड़ताल करता है तो उसे ऐसा कानून लगा दिया जाता है क्यों तुम ऐसा कर रहा है वो वेतन के नाम से वेतन तो आपको सही मिल रहा है बोलकर मगर वहीं पर मंत्री विधायकों सांसदों का वेतन वृद्धि करना रहता है तो मंत्री विधायक सांसद आपसी समझौते के तहत वेतन को बढ़ोतरी कर लेते हैं खुद की मगर कर्मचारियों के वेतन विसंगति रहने पर कर्मचारी हड़ताल पर रहते हैं तो उन्हें कानूनी हथकंडा दिखा दिया जाता है।

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