
रिपोर्टर अंसारी रफीक नूरी अहमदाबाद गुजरात
इस्लाम धर्म में रमजान को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मुस्लिम धर्म के लोग रमजान के महीने में रोज़े रखते हैं और अपने साथ-साथ अपने दोस्त, रिश्तेदार और परिवारजनों के लिए दुआएं मांगते हैं। यह महीना सभी के लिए बहुत खास होता है। रमजान या रमदान इस्लामी कैलेण्डर का नौवा महीना होता है। जिसमें अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए इस महीने के गुज़रने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल-फ़ित्र मनाते हैं।रमजान में पांच वक़्त की नमाज पढ़ी जाती है। जिसमें रमजान में तरावीह नमाज (ताराबी की नमाज) को विशेष महत्व दिया गया है। जिसे हर रोजेदार को जरूर पढ़ना चाहिए। आमतौर पर तरावीह की नमाज़ (ताराबी की नमाज) ईशा की नमाज के बाद पढ़ी जाती है, जिसमें 20 रकात पढ़ी जाती है। हर दो रकात के बाद सलाम फेरा जाता है। 10 सलाम में 20 रकात होती हैं। कुछ लोग सबीना में जाकर पांच रोज की तरावीह (ताराबी की नमाज) पढ़ते हैं। वहीं अहमदाबाद के बापुनगर मोमिन मस्जिद की जानिब से हर साल पांच रोज वाली तरावीह का इंतजाम किया जाता हैं जहां हजारों की तादाद में लोग तरावीह की नमाज़ अदा करने आते हैं इस साल पांच रोज वाली तरावीह पड़ने के लिए उत्तर प्रदेश आज़मगढ़ से आए हाफिज मोहताशीम ने पांच रोज वाली तरावीह पढ़ाई जिन के पीछे हजारों लोगों ने तरावीह की नमाज़ अदा की बीते दिनों 29-3-2023 को पांच रोज वाली तरावीह पुरी होई। खलिफा ए हुज़ूर शैख उल इस्लाम मौलाना गुलाम सैय्यद अशरफी साहब ने देश और समाज की सलामती और भाईचारे के लिए खास दुआ किए।