लौरिया विधानसभा: कांग्रेस का गढ़ हुआ ढहा, अब भाजपा का वर्चस्व कायम
लौरिया, पश्चिम चंपारण:

कभी कांग्रेस पार्टी का मजबूत गढ़ रहे लौरिया विधानसभा क्षेत्र में अब राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल चुके हैं। वर्ष 1957 से 2000 तक कांग्रेस ने इस सीट से कुल सात बार जीत दर्ज की थी, लेकिन 2000 के बाद से पार्टी की पकड़ लगातार ढीली पड़ती चली गई। इसके बाद से इस क्षेत्र में जेडीयू और भाजपा का प्रभाव बढ़ता चला गया।
वर्ष 2010 में एक बार निर्दलीय उम्मीदवार विनय बिहारी ने इस सीट से जीत हासिल की थी, लेकिन बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए। वर्तमान समय में वे ही लौरिया से भाजपा विधायक हैं और क्षेत्र में पार्टी की मजबूत उपस्थिति को बनाए हुए हैं।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और इतिहास:
लौरिया विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास जितना समृद्ध रहा है, उतना ही इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। यह सीट पहले अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी, लेकिन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद इसे सामान्य श्रेणी में शामिल कर दिया गया।
जनसंख्या और मतदाता आंकड़े:
चुनाव आयोग के अनुसार, लौरिया विधानसभा क्षेत्र की कुल आबादी 4,40,557 है, जिसमें 2,34,543 पुरुष और 2,06,014 महिलाएं शामिल हैं। 1 जनवरी 2024 की अर्हता तिथि पर आधारित अंतिम मतदाता सूची के अनुसार, कुल मतदाताओं की संख्या 2,62,111 है। इनमें 1,38,157 पुरुष और 1,23,953 महिला मतदाता शामिल हैं।
भौगोलिक दायरा:
यह विधानसभा क्षेत्र योगापट्टी सामुदायिक विकास खंड और लौरिया प्रखंड की 17 ग्राम पंचायतों को शामिल करता है। इनमें सिसवनिया, कटैया, मरहिया पकरी, मठिया, लौरिया, बेलवा लखनपुर, गोबरौरा, बहुअरवा, धोबनी धर्मपुर, धमौरा, दनियाल प्रसौना, साथी, सिंहपुर सतवरिया, बसंतपुर और बसवरिया परौतोला प्रमुख ग्राम पंचायतें हैं।
आगामी चुनाव की तैयारी:
लौरिया में वर्तमान समय में भाजपा मजबूत स्थिति में दिख रही है, लेकिन आगामी चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस पा सकेगी या फिर भाजपा और जेडीयू का दबदबा और मजबूत होगा।



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