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Chhattisgarh New : सूत्रों के हवाले से बड़ा खुलासा SDM अमित बेक के कार्यकाल में चला फर्जी जाति प्रमाण पत्र का सिंडिकेट 2024 का रिश्वतखोरी ऑडियो फिर वायरल धीवर से बैगा समेत कई मामलों पर जांच की मांग

गौरेला पेंड्रा मरवाही। 2024 में पेंड्रा रोड SDM कार्यालय का एक ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें पदस्थ स्टेनो को दो जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए 6,000 रुपये रिश्वत मांगते सुना गया था। ऑडियो में वह साफ कह रहा है कि रुपये मिलने पर दस्तावेज़ों की कमी होने के बावजूद प्रमाण पत्र बना दिया जाएगा।

ब्यूरो चीफ राकेश कुमार साहू जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़

ऑडियो से खुला संगठित खेल यह ऑडियो स्पष्ट संकेत देता है कि SDM कार्यालय में फर्जी जाति प्रमाण पत्र का खेल सुनियोजित तरीके से चला था। एक बाबू के लिए इतना बड़ा घोटाला अकेले करना संभव नहीं था बिना तत्कालीन SDM अमित बेक की मिलीभगत के यह खेल असंभव था। लेकिन, हैरानी की बात है कि मामले को रफा-दफा कर सिर्फ कर्मचारी को हटाकर फाइल बंद कर दी गई। गौरतलब है कि ऑडियो वायरल होने के बाद संबंधित ऑपरेटर स्टेनो को हटा दिया गया था लेकिन SDM अमित बेक पर क्या कार्यवाही हुई सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि क्या उनके कार्यकाल के दौरान जारी सभी जाति प्रमाण पत्रों की जांच की गई है यदि नहीं, तो यह साफ है कि पूरे मामले को दबाकर केवल छोटे कर्मचारी को बलि का बकरा बनाया गया और असली जिम्मेदारों को बचा लिया गया। सबसे बड़ा अनसुलझा सवाल 2024 में ऑडियो सामने आने के बाद न तो यह जांच हुई कि कितने फर्जी जाति प्रमाण पत्र जारी किए गए और न ही यह पता लगाया गया कि इन प्रमाण पत्रों के आधार पर किस-किस को नौकरी मिली। यह प्रशासनिक लापरवाही अपने आप में कई गंभीर सवाल खड़े करती है। धीवर से बैगा बनकर शिक्षा विभाग में भर्ती विशेष सूत्रों के मुताबिक, इस रैकेट के जरिए सबसे ज्यादा फर्जी भर्तियां शिक्षा विभाग में हुईं। कई धीवर जाति के लोगों ने लाखों रुपये देकर बैगा जाति का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाया और शिक्षक के रूप में नियुक्ति पाई। आज भी बिलासपुर और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिलों के अनेक स्कूलों में ऐसे फर्जी बैगा शिक्षक पदस्थ हैं। सिर्फ धीवर ही नहीं, कई जातियों में फर्जीवाड़ा सूत्रों का कहना है कि यह घोटाला सिर्फ धीवर से बैगा में बदलने तक सीमित नहीं था अनेक अन्य जातियों के भी फर्जी प्रमाण पत्र बनाए गए, जिनके आधार पर विभिन्न विभागों में नियुक्तियां हुईं। ऑडियो के बाद ‘दस्तावेज़ सुधार’ का खेल ऑडियो वायरल होने के बाद से फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारक अपने जमीनी दस्तावेज़ों, दाखिल-खारिज और अन्य सरकारी रिकॉर्ड में बदलाव कर खुद को वैध दिखाने की कोशिश में जुट गए हैं। इसके बावजूद प्रशासन अब तक जागा नहीं है, जिससे यह साफ है कि भीतर से संरक्षण मिल रहा है। जांच की मांग तेज स्थानीय सामाजिक संगठनों का कहना है कि 2024 के इस ऑडियो, तत्कालीन SDM अमित बेक की भूमिका और शिक्षा विभाग समेत अन्य विभागों में हुई फर्जी भर्तियों की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए, ताकि असली दोषियों का पर्दाफाश हो सके और ऐसे मामले दोबारा न हों। फर्जी जाति प्रमाण पत्र घोटाले की रूपरेखा ऑफिस में प्रवेश SDM कार्यालय के बाबू स्टेनो के जरिए आवेदक से संपर्क दलालों मध्यस्थों की भूमिका रकम की मांग बिना दस्तावेज़ पूरे किए 2 से 3 लाख रुपये तक रिश्वत तय दस्तावेज़ की कमी कोई समस्या नहीं जैसा ऑडियो में सुना गया SDM की मिलीभगत संरक्षण फर्जी फाइलें पास होना अनुमोदन साइन पर कोई सवाल नहीं बाबू अकेले इतनी बड़ी संख्या में प्रमाण पत्र जारी नहीं कर सकता  फर्जी प्रमाण पत्र का निर्माण धीवर जाति के लिए बैगा जाति का प्रमाण पत्र बनाना पुराने रजिस्टर में फर्जी प्रविष्टियां सरकारी नौकरी में प्रवेश सबसे ज्यादा भर्ती शिक्षा विभाग में अन्य विभागों में भी नियुक्तियां मामला दबाना 2024 में ऑडियो आने के बाद कर्मचारी हटाया गया पर फाइलें बंद, कोई विस्तृत जांच नहीं अब दस्तावेज़ सुधार अभियान फर्जी बैगा कर्मचारी अपने दाखिल-खारिज और रिकॉर्ड संशोधित कर फर्जी को सही साबित करने में लगे

Indian Crime News

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