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Uttar Pradesh News संत की पहचान उसके कर्मो से होती है वस्त्रों से नही- देवकीनंदन..

रिपोर्टर विवेक सिन्हा वाराणसी उत्तर प्रदेश

वाराणसी। दिनांक 4 दिसंबर प्रखर भागवत वक्ता पूज्य देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि संत की पहचान उसके भेष से नही बल्कि असली संत की पहचान उसके कर्म से ही होती है। भगवा या धवल वस्त्र धारण कर लेने से कोई संत नही बनता, सच्चा संत मान-अपमान दोनों को सहन कर लेता है, दूसरे के दुःख को देखकर करूणा करने वाला हो, जीव को कष्ट में देख दयालु भाव रखने वाला होता है। वह परोपकारी और सत्य वचन वाला होता है। ब्रह्मलीन परम पूज्य संत नारायण दास भक्तमालि (बक्सर वाले मामा जी) की सद्प्रेरणा से आयोजित होने वाले सिय पिय मिलन महामहोत्सव के पांचवे दिन मंगलवार को सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में चल रही श्रीमद भागवत कथा का रसपान कराते हुए पूज्य देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि सच्चे संत का सानिध्य मिलता है तो यह चंचल मन सारे बंधनो से मुक्त हो जाता है। जीवन मे संत, भक्त और ब्राह्मण का अपमान कभी मत करो, हमारे संस्कार कहते है कि जो आदरणीय है, उनका सम्मान करों।देवकीनंदन ठाकुर ने कहा की सनातनियों को अपूज्य की पूजा नही करनी चाहिए, दुःखद स्थिति यह है कि आज गुरुवार को पीर बाबा की मजार पर चादर चढ़ाने वाले हिन्दुओ से ज्यादा मुस्लिम है। सच्चे सनातनी पीर पर चादर नही, महावीर पर सिन्दूर चढ़ाते है। संगति के प्रभाव का वर्णन करते ठाकुर ने कहा कि संगति ऐसी करो जिससे भगवत भक्ति का मार्ग खुले, वह संगति कुसंगति है जो माया की ओर ढकेले। भागवत महिमा का बखान करते हुए देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि भागवत प्रेम भाव से सुनने की कथा है, स्वयं भूतभावन काशी विश्वनाथ कैलाश छोड़कर भगवत कथा सुनने आते है। जिसके जीवन मे कथा नही है, वहीं विश्वास की कमी है। ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान ने उसकी साधना से प्रसन्न होकर भक्त ध्रुव को अलग लोक ही दे दिया। भगवान जब हमारा कल्याण निश्चित करते है तो सारे मार्ग भी प्रशस्त कर देते है। कथाक्रम में देवकीनंदन ठाकुर ने कहा की काशी वाले बहुत खास है, क्योंकि इनकी पहुँच सीधे प्रधानमंत्री तक है, यही कारण है कि सनातन बोर्ड की मांग यहाँ बार बार हो रही है। बॉलीवुड पर करारा प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति का नाश करने में सबसे बड़ी भूमिका इनकी ही है। साथ ही उन्होंने गोधरा काण्ड पर बनी साबरमती एक्सप्रेस देखने का भी आग्रह किया ताकि जनमानस जागरूक हो सके। कथा श्रवण करने काशी पहुँचे सात बार के सांसद रहे एवं भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह ने कहा कि देवकीनंदन द्वारा सनातन बोर्ड के गठन की बात उठाई गई है, इसके पीछे दूरगामी सोच है। सनातन का इतिहास सतयुग से है जो 41 लाख वर्षो से अधिक का है। हमारे मंदिरों में अलग अलग पूजा पद्धति है, जिसका ज्ञान सरकारी अधिकारियों को नही बल्कि संतो और महात्माओं को है, इसलिए सनातन बोर्ड जरूरी है और यह मांग भी बाबा विश्वनाथ की कृपा से जल्द पूरी होगी। हम आपके मांग का पूर्ण समर्थन करते है। कथा का शुभारंभ व्यासपीठ के पूजन से हुआ, इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, पूर्व सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह, काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक पं. श्रीकांत मिश्र, विंध्याचल धाम के पुजारी अगस्त द्विवेदी, सिया दीदी, संजय सिंह बबलू, अशोक अग्रवाल गुरुकृपा, दीपक बजाज मिंटू सिंह, अशोक सिंह, मनीष श्रीवास्तव, अमित विश्वकर्मा, सीताराम चतुर्वेदी, अजीत राय, सुरेश तुलस्यान, वेद अग्रवाल, सुनीता अग्रवाल, अनिल अग्रवाल, अजय शर्मा अज्जू आदि ने व्यासपीठ का साविधि पूजन अर्चन किया। संचालन जय शंकर शर्मा एवं अशोक मिश्रा ने किया। लीला क्रम में मंगलवार को राम, लक्ष्मण अपने गुरु विश्वामित्र के साथ जनकपुर नगर भ्रमण को निकलते है, जिन्हें अदभुत, अलौकिक सौंदर्य को देखकर जनकपुर निवासी निहाल हो गए। इस अवसर पर बक्सर वाले मामा जी द्वारा रचित गीत ‘मिथिला में आई विश्वामित्र मुनिराई, भजमन सिया रघुराई’ जैसे मंगलगीत गाकर दोनों राजकुमारों का स्वागत किया। इसके अलावा दिनभर विविध धार्मिक अनुष्ठान पूर्ववत चलते रहे। लीला क्रम में आज बुधवार को प्रातः 10 बजे से कथा स्थल पर फुलवारी की लीला का मंचन होगा, सायंकाल धनुष यज्ञ की लीला सम्पन्न होगी।

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