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Himachal Pradesh News बैसाखी उत्सव आपसी भाईचारे व नए सौर वर्ष की शुरुआत का प्रतीक

रिपोर्टर ओमप्रकाश शर्मा शिमला हिमाचल प्रदेश

शिमला ग्रामीण के परगना सराज क्षेत्र में आज से बैसाखी उत्सव का शुभारंभ हो गया है। नए वर्ष के शुभारंभ के साथ-साथ सराज क्षेत्र के स्थानीय लोग देवता पन्दोई को पालकी में बैठा कर गांव गांव में ले जाने की परंपरा सदियों से निभाते आ रहे है। जिस परंपरा का आज भी हर्षो उल्लास के साथ निर्वहन हो रहा है। देवता पन्दोई के पुरोहित वीरेंद्र शर्मा के अनुसार स्थानीय गांव के लोग देवठीयो के प्रांगण में एकत्रित हो कर देव नृत्य का आनंद लेते है। ऐसी मान्यता है कि लोग देवता पन्दोई से जो भी मन्नत मांगते हैं वह अवश्य पूरी होती है। सक्रांति के प्रथम दिन पालीधर, दूसरे दिन धरोगड़ा, तीसरे दिन नतराड, चौथे दिन सन्दोआ, पांचवें दिन एवग, छठे दिन गडेरी, सातवें दिन ओगली, आठवे दिन देवता पन्दोई के मूल स्थान पन्दोआ मैं विशू मेले का आयोजन किया जाता है।तदो उपरांत देवता पन्दोई का बिशु कुमारसेन के हथिया नामक स्थान पर आयोजित किया जाता है।

अंततः कोठी घाट के घाट नामक स्थान पर बिशुमेले का समापन होता है। उपरोक्त सभी देवठीओ में हजारों की संख्याओं में लोग एकत्रित होकर अपने इष्ट देव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। सदियों से चली आ रही यह परंपरा समाज को एक सूत्र में बांधे रखने में आज भी अपनी अनूठी भूमिका निभाते चली आ रही है। यह परंपरा समाज के लिए सुख, समृद्धि व शांति का प्रतीक भी है।

अन्नदाता की खुशहाली और समृद्धि के पर्व बैसाखी पर देवता साहब पन्दोई के मुखिया महेंद्रसिंह ठाकुर, पुरोहित वीरेंद्र शर्मा, जितेंद्र शर्मा, देवता साहिब पन्दोई के गुर शक्तराम, केवल राज वर्मा, भंडारी चिरंजीलाल,देवराज मेहता,दीपराम,खमेशकश्यप,ईश्वर संधोली ने देवता पन्दोई के बैसाखी पर्व के शुभ आरंभ पर देवता पन्दोई को मानने वाले लोगों के लिए हार्दिक शुभकामनाएं वह बधाइयां प्रेषित की हैं।

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